Navratri 2023 : नवरात्रि का पावन पर्व आज दिनांक 22 मार्च से शुरु है. चैत्र नवरात्रि पूरे 9 दिनों की है. इसका समापन दिनांक 30 मार्च को नवमी के दिन होगा. पूरे 9 दिनों में अखंड ज्योत जलाने का विशेष विदि-विधान है. वहीं, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महिषासुर ने ब्रह्म देव से अपनी मृत्यु के लिए ऐसा वरदान मांगा था, जिसकी वजह से वह तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर अमर हो गया. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में महिषासुर की ऐसी कथा के बारे में बताएंगे, जिससे मां दुर्गा को अवतार लेना पड़ गया था और तभी से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हुई थी.
जब ब्रह्मा जी ने दिया महिषासुर को वरदान
देवी भागवत पुराण में महिषासुर रंभासुर का बेटा था. अग्निदेव के आशीर्वाद से जब महिषासुर का जन्म हुआ था. तब वह अमरत्व की प्राप्ति करना चाहता था. इसलिए, क्योकि उसे कोई मार न सके और वह अमर हो जाए. इसके लिए उसे ब्रह्म जी उपासना की और कई सालों की कठोर तपस्या के बाद उसे सफलता भी मिली. उसकी तपस्या से ब्रह्म जी प्रकट हुए, तब उसने अमरता के लिए वरदान मांगा था. तब ब्रह्म देव ब्रह्म देव ने उससे कहा कि अमरता का वरदान छोड़कर कोई और वरदान मांगो. तब उसने वरदान में मांगा, कि उसकी मृत्यु सिर्फ किसी स्त्री के हाथ से ही हो. तब ब्रह्म जी ने उसे वरदान भी दिया. वह अजेय हो गया, उसे कोई हरा नहीं सकता था. उसने तीनों लोकों में अपान आधिपत्य जमा लिया था. वहीं दूसरी तरफ महिषासुर ने स्त्री से मरने का वरदान इसलिए मांगा थि, क्योंकि स्त्री शक्लिशाी नहीं होती ह. जिससे उसे मारा जा सके.
जब सभी देवताओं ने मां दुर्गा की गुहार लगाई
जब तीनों लोक में महिषासुर ने अधिकार जमा लिया था. तब उसका अत्याचार और भी ज्यादा बढ़ गया था. तब सभी देवी-देवताओं ने धर्म की स्थापना और महिषासुर के अच्याचारों से मुक्ति पाने के लिए मां दुर्गा की पुकार लगाई. तब यही चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मां दुर्गा प्रकट हुईं थीं.
आदिशक्ति ने प्रतिपदा तिथि से महानवमी तक अपने 9 रूपों को प्रकट किया. जिसकी वजह से चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है, जिसमें नवदुर्गा की विशेष पूजा की जाती है.
इस तरह हुआ महिषासुर का वध
मां दुर्गा ने शारदीय नवरात्रि की दशमी को महिषासुर का वध किया था. उस दिन विजयदशमी मनाई जाती है. पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा और महिषासुर का भीषण युद्ध हुआ था.