Chaitra Navratri 2024: मां ब्रह्मचारिणी चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पूजी जाने वाली देवी दुर्गा का दूसरा रूप है. इनका नाम 'ब्रह्मचारिणी' भगवान शिव के ध्यान में ब्रह्मचर्य और तप का पालन करने की कला को संदर्भित करता है. मां ब्रह्मचारिणी को पारंपरिक रूप से धारण किया जाता है, जो एक उज्ज्वल वस्त्र और कमंडलु धारण करती हैं. वे संजीवनी वन, कटाचर और कमंडलु को धारण करती हैं. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से भक्तों को ब्रह्मचर्य, संयम, और तप की शक्ति प्राप्त होती है. इन्हें पूजने से जीवन में स्थिरता, संतुलन और समर्थता का अनुभव होता है. मां ब्रह्मचारिणी की कथा में कहा जाता है कि वे अपनी तपस्या और त्याग के प्रतीक रूप में अनेक वर्षों तक अन्न और पान का त्याग कर तपस्या की थीं. उन्होंने अपने उद्दीपन के लिए कटाचर के वन में अत्यंत कठिन तपस्या की और भगवान शिव की अनुग्रह से वे उन्हें पतिदेव के रूप में प्राप्त हुईं. इस रूप में, मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान और पूजा करने से भक्तों को आत्मज्ञान, साधना, और संयम की प्राप्ति होती है, जो उन्हें आत्मिक और मानविक समृद्धि की दिशा में अग्रसर करती है.
शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त 04:31 AM से 05:17 AM
अभिजीत मुहूर्त 11:57 AM से 12:48 PM
विजय मुहूर्त 02:30 PM से 03:21 PM
पूजा विधि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा स्थान को साफ करें और गंगाजल छिड़कें. मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा स्थापित करें. मां को फूल, फल, मिठाई, और दीप अर्पित करें. मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र "ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः" का 108 बार जाप करें. मां की आरती करें और प्रसाद वितरित करें.
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
मां ब्रह्मचारिणी भगवान शिव की पत्नी पार्वती का रूप हैं. उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. इस तपस्या के दौरान उन्होंने अनेक कष्टों का सामना किया, लेकिन वे विचलित नहीं हुईं. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना
वरदान दिया.
मां ब्रह्मचारिणी की कथा कई पुराणों में मिलती है. एक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. इस तपस्या के दौरान उन्होंने केवल बेल पत्र का सेवन किया था. बाद में इसे भी खाना त्याग कर निर्जल और निराहार रहकर तप करती रहीं.
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना वरदान दिया. देवी पार्वती ने भगवान शिव से वरदान मांगा कि वे हमेशा उनके साथ रहें. भगवान शिव ने देवी पार्वती का वरदान स्वीकार किया और उन्हें अपना अर्धांगिनी बनाया.
मां ब्रह्मचारिणी का महत्व
मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, शिक्षा, और तपस्या की देवी माना जाता है. उनकी पूजा करने से ज्ञान, शिक्षा, और तपस्या में वृद्धि होती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मन में शांति और एकाग्रता प्राप्त होती है. चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से आपको उनकी कृपा प्राप्त होगी और आपके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी. पूजा करते समय सभी नियमों का पालन किया जाए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau