Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि में कन्या भोज कराने का विशेष महत्व है. यह माना जाता है कि कन्याओं में देवी दुर्गा का वास होता है और उनका भोजन कराने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. नवरात्रइ के आठवें और नौवें दिन, यानी महाष्टमी और महानवमी के दिन, कन्या पूजन किया जाता है. कन्या भोज में नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान नौ कन्याओं को भोजन कराया जाता है और उन्हें धन, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति की कामना की जाती है. इसके साथ ही, कन्या भोज करने से माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और समस्त परिवार का मंगलमय भविष्य सुनिश्चित होता है. यह परंपरा धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा देती है.
नियम:
कन्याओं की संख्या: कम से कम 9 कन्याओं और एक बालक का भोजन कराना चाहिए.
कन्याओं का चयन: कन्याओं का चयन करते समय ध्यान रखें कि वे कुंवारी हों और उनकी आयु 9 वर्ष से कम न हो.
भोजन: कन्याओं को पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन कराना चाहिए. भोजन में पूड़ी, सब्जी, दाल, चावल, मिठाई आदि शामिल होना चाहिए.
दक्षिणा: कन्याओं को भोजन के बाद दक्षिणा देना चाहिए. दक्षिणा में कपड़े, फल, मिठाई, पैसे आदि शामिल हो सकते हैं.
आशीर्वाद: कन्याओं से आशीर्वाद लेना चाहिए.
महत्व: कन्या भोज कराने से देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कन्या भोज कराने से पापों का नाश होता है और पुण्य प्राप्त होता है. इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सुख-समृद्धि आती है और संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्तों को भी कन्या भोज कराने से लाभ होता है. कन्या भोज कराने का सबसे अच्छा समय नवरात्रि के अष्टमी या नवमी तिथि को है. आप नवरात्रि के अन्य दिनों में भी कन्या भोज कर सकते हैं. कन्या भोज करते समय किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए. सभी कन्याओं का समान सम्मान और आदर करना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau