Chanakya Niti: भारतीय समाज में शादी का बंधन केवल एक जन्म के लिए नहीं बल्कि 7 जन्मों के लिए माना जाता है. कहा जाता है कि शादी के लिए हमेशा अपना हमसफर वफादार ही चुनना चाहिए. क्योंकि ये एक ऐसा रिश्ता है जिसे चुनते समय अगर कोई भूल हो जाए तो सारी उम्र परेशानियां ही रहती है. पहले के समय में लड़के और लड़की की शादी के लिए उम्र में 5 से 7 साल का फर्क रखा जाता था. ऐसा देखा जाता था कि अगर लड़का शादी की उम्र का हो गया है तो उसके लिए लड़की उससे कम उम्र की ढूंढी जाए. हालांकि धीरे-धीरे ये रिवाज खत्म हो चुका है और शादी के लिए लड़का और लड़की आजकल हमउम्र के ही होते हैं. लेकिन इसके पीछे एक वजह बताई गई है, जिसका जिक्र चाणक्य की नीतियों में भी मिलता है. तो आइए जानते हैं आखिर इसके पीछे क्या कारण है.
चाणक्य की नीतियां
चाणक्य हमारे इतिहास के बहुत प्रसिद्ध विद्वान हुए है. उनका असली नाम कौटिल्य था. वे एक अर्थशास्त्री और नीतिज्ञ थे. उनके विचार और आचरण इतने अडिग थे, कि आज भी उनके जैसा व्यक्तित्व पाने वाला व्यक्ति अपनी जिंदगी में कभी हार नहीं खा सकता. चाणक्य ने इस समाज में जीने और सफल होने के कई राज बताए हैं. जिसे चाणक्य नीतियों के नाम से जाना जाता है. चाणक्य की नीतियां आज भी हमारे समाज का मार्गदर्शन करती है. उनकी कही हर बात सच साबित होती है.
इसलिए होना चाहिए लड़के-लड़की में 7 साल का गैप
चाणक्य कहते हैं कि शादी के लिए लड़के और लड़की की उम्र में कम से कम 5 से 7 साल का अन्तर जरूर होना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि पति पत्नी का रिश्ता बहुत खास होता है. दोनों एक दूसरे के सहारे होते हैं. जब एक को जरूरत होती है तो दूसरा हमेशा उसकी मदद करता है. इसलिए जब पुरुष बूढ़ा होता है तो उसे पत्नी की बहुत आवश्यकता होती है. उस समय पत्नी उसका एकमात्र सहारा होती है. इसलिए शादी के लिए लड़कियों को लड़कों से कम से कम 5 से 7 साल छोटे होना चाहिए.
औरतें रह सकती हैं अकेली
चाणक्य कहते हैं कि शादी के लिए लड़की उम्र में छोटी होनी चाहिए. क्योंकि वृद्धावस्था में औरतें अकेले अपने पति के बिना समय बिता सकती है. लेकिन पुरुष ऐसा नहीं कर सकते. उनमें अकेले समय बिताने की शक्ति नहीं होती और बूढ़े होने पर अपनी पत्नी की बेहद जरूरत होती है, जो उनका साथ दे सके.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)