Chanakya Niti: जो भी व्यक्ति इस धरती पर जन्म लेता है उसे एक दिन मरना पड़ता है. हर व्यक्ति की आयु एक निश्चित समय के लिए ही होती है. इसलिए इस छोटी सी जिंदगी में हमें अच्छे काम करते रहना चाहिए और सभी से प्रेम भावना के साथ रहना चाहिए. आचार्य चाणक्य इतिहास के बहुत महान अर्थशास्त्री हुए है. अर्थशास्त्र के साथ-साथ उन्हें जीवन के अनेक पहलुओं का भी एक अच्छा अनुभव था. उनकी नीतियां आज भी हमारे समाज मे बहुत प्रचलित है और लोगों की जिंदगी में ज्ञान का सवेरा करती है. चाणक्य की महान बातें किसी भी व्यक्ति को सफलता की ऊंचाई पर चढ़ने मे मदद कर सकती है. चाणक्य ने ये भी बताया है कि जो लोग दिन मे सोते हैं, वे जल्द ही मृत्यु की भेंट चढ़ जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर इसके पीछे चाणक्य का क्या तर्क है.
चाणक्य शास्त्र के दो श्लोक
चाणक्य ने अपनी नीतियों को श्लोकों की तरह लिखा है. इन श्लोकों में उन्होंने गागर में सागर भरा हुआ है. यानी कि इनका मतलब किसी भी ढंग से निकाला जा सकता है. दिन में सोने के लिए चाणक्य के दो श्लोक बहुत ही मशहूर है. चाणक्य ने लिखा है: "न दिवा स्वप्नम कुर्यात" और "आयु: क्षयी दिवा निद्रा ." इन श्लोकों से चाणक्य का मतलब है कि जो लोग दिन में सोते हैं, उनकी आयु कम होती है और उनके स्वास्थ्य में विकार पैदा होता है. चाणक्य का मतलब ये भी है कि दिन में सोने से कार्य में भी क्षति होती है.
दिन में सोने के नुकसान
चाणक्य एक महान नीतिज्ञ थे. उन्होंने हमेशा समय की कदर की है. उनके मुताबिक हमें सदैव समय का सदुपयोग करना चाहिए, तभी हमें जिंदगी में सफलता प्राप्त हो सकती है. चाणक्य ने कहा है कि दिन का समय काम करने के लिए होता है. इसलिए इस वक्त हमें अपने महत्त्वपूर्ण काम कर लेने चाहिए. जो लोग दिन का समय सोने में व्यर्थ कर देते हैं. ऐसे लोग कभी सफल नहीं हो पाते और पछताते रहते हैं.
ऐसे होती है आयु कम
चाणक्य कहते हैं कि हर एक व्यक्ति की उम्र निश्चित होती है और उनकी सांसे भी सीमित होती है. जो व्यक्ति दिन में सोते हैं उनकी सांसें उतनी ही कम होती रहती है. क्योंकि सोते समय व्यक्ति की सांसे तेज हो जाती है. जो व्यक्ति जागते समय जितनी सांसे लेता है, सोते समय वही सांसे लम्बी हो जाती है. इसलिए दिन में सोने वाले व्यक्ति की उम्र कम हो जाती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)