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Chanakya Niti: अपमानित होकर जीने से लाख गुना अच्छा है मनुष्य का मर जाना

Chanakya Niti: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कोई व्यक्ति चाणक्य के विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दे लेकिन उनके बताए गए वचन जीवन की हर कसौटी पर व्यक्ति की मदद करेंगे.

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Dhirendra Kumar
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Chanakya Niti (चाणक्य नीति)

Chanakya Niti (चाणक्य नीति)( Photo Credit : NewsNation)

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियों और विचारों को कुछ लोग कठोर मानते हैं लेकिन अगर देखा जाए तो जीवन की सच्चाई असलियत में यही है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कोई व्यक्ति चाणक्य के विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दे लेकिन उनके बताए गए वचन जीवन की हर कसौटी पर व्यक्ति की मदद करेंगे. आज की इस रिपोर्ट में हम आचार्य चाणक्य (Ethics Of Chanakya) के एक और विचार का विश्लेषण करेंगे. बता दें कि आज का ये विचार अपमान पर आधारित है. आचार्य चाणक्य ने कहा है कि खुद का अपमान कराकर जीने से अच्छा है मर जाना. उनका कहना है (Chanakya Quotes) कि प्राण के त्यागने से सिर्फ एक ही बार कष्ट होता है लेकिन अपमानित होकर जीवित रहने से पूरा जीवन दुख रहता है.

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अपमान कराकर जीने का अर्थ है कि व्यक्ति जीवनभर उस दुख के साए में रहेगा
आचार्य चाणक्य का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति अपना अपमान करा रहा है तो उससे खराब बात कोई और नहीं हो सकती है. उनका कहना है कि इसके पीछे वजह है यह है कि अपना अपमान कराकर जीने का अर्थ है कि व्यक्ति जीवनभर उस दुख के साए में रहेगा और यह दुख उस व्यक्ति को दिन पर दिन अंदर से तिल तिल मारता रहेगा. उन्होंने कहा है कि ऐसा जीवन किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद कष्टकारी और अपमानजनक होता है. चाणक्य कहते हैं कि कई बार व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों का अपमान कर देते हैं या फिर कई व्यक्ति सिर्फ दूसरे व्यक्ति को नीचा दिखाने के लिए उसका अपमान करते हैं. उनका कहना है कि अगर आपकी गलती होने पर आपको कोई व्यक्ति अपनी सीमा में रहकर कुछ बात कह रहा है तो उसे झेला जा सकता है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति आपको जानबूझकर अपने निशाने पर रखे हुए है तो आपका चुप रहना उस व्यक्ति को बढ़ावा दे सकता है. उनका कहना है कि आप अगर यह सोचते हैं कि अमुक व्यक्ति अगली बार ऐसा कुछ करेगा तो आप उसे रोकेंगे तो आपकी सोच उसे ऐसी हरकत करने से दोबारा करने की हिम्मत देगी. 

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आचार्य चाणक्य का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति आपका अपमान करता है तो उस व्यक्ति को उसी समय रोक दें. क्योंकि ऐसा करने से सामने वाले की हिम्मत टूटेगी और वह आगे नहीं बढ़ पाएगा. आचार्य चाणक्य के मुताबिक स्वंय का अपमान कराकर जीने से बेहतर है मर जाना. उनका कहना है कि मृत्यु से सिर्फ एक बार कष्ट होता है लेकिन अपमानित होकर जीने से व्यक्ति आजीवन दुखी रहता है.

HIGHLIGHTS

  • प्राण के त्यागने से सिर्फ एक ही बार कष्ट होता है लेकिन अपमानित होकर जीवित रहने से पूरा जीवन दुख रहता है: चाणक्य
  • आचार्य चाणक्य का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति आपका अपमान करता है तो उस व्यक्ति को उसी समय रोक दें 
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