आचार्य चाणक्य की नीतियों ने चन्द्रगुप्त मौर्य को राज सिंहासन पर बैठा दिया था. उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंथ है. अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है. आचार्य चाणक्य की नीतियां जो भी व्यक्ति अपने जीवन में उतार लेता है उसकी सभी मुश्किलें आसान हो जाती है. चाणक्य नीति व्यक्ति को सफल बनाने के साथ उसके जीवन को आसान बना देता है. आज हम चाणक्य की उस नीति के बारे में बात करेंगे, जिसकी मदद से आप अपने जीवन को सरल बना सकते हैं.
दुख भोगने वाला आगे चलकर सुखी हो सकता है लेकिन दुख देने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता- आचार्य चाणक्य
आचार्य के इस कथन का अर्थ है कि जो व्यक्ति दूसरों को दुख पहुंचाता है वो आगे चलकर कभी सुखी नहीं हो सकता है. वहीं जो व्यक्ति दुख भोग रहा है वो आगे चलकर सुखी हो सकता हैं. चाणक्य की इस बात को अगर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में लागू कर ले तो वो कभी दुखी नहीं होगा और न ही वो किसी के दुखों का कारण बनेगा.
कई बार जीवन ऐसे लोगों से सामना होता है जो हमारे दुखों का कारण बनता है. वो व्यक्ति हमें तकलीफ में देखकर बहुत खुश होता है लेकिन वक्त इसक हिसाब जरूर करता है. वक्त हर दुखों को भर देता है लेकिन दुख पहुंचाने वाले को यहीं वक्त उसकी कर्म का दंड देता है. यानि कि जैसी करनी वैसी भरनी, जो व्यक्ति दूसरों को तकलीफ देता है आगे चलकर उसे भी उस दुख का भोगी जरूर बनना पड़ता है.
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जिस व्यक्ति को उन्होंने दुख दिया है वो आने वाले समय में फिर भी सुखी हो सकता है. लेकिन दुख देने वाले को समय ऐसा दंड देता है कि वो जीवन में कभी भी सुखी नहीं भोग सकता. ऐसा इसलिए है क्योंकि जो भी मनुष्य जैसा कर्म करता है उसे उसका वैसा ही फल मिलता है. अब ये व्यक्ति के कर्मों पर निर्भर करता है कि उसके कैसा कर्म किया है. अगर किसी ने अच्छ कर्म किए है तो उसके उसका अच्छा फल मिलेगा. वरना किसी ने बुरे कर्म किए है तो उसे यकीनन इसका बुरा फल मिलेगा. तो अगर आप भी अपने जीवन में सुखी रहना चाहते है तो चाणक्य के इन बातों का विशेष रूप से ख्याल रखे कि जानकर आपसे किसी का बुरा न हो.