हिंदू धर्म में धन को लक्ष्मी जी से जोड़कर देखा जाता है. यह माना जाता है कि जिस पर माता लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं, उसके जीवन में धन की कोई कमी नहीं रहती. महान विचारक और अर्थशास्त्री चाणक्य के अनुसार, जहां पर मूर्खों का सम्मान न हो, अन्न के भंडार भरे हुए हों, पति और पत्नी के बीच कलह और विवाद की स्थिति न रहती हो वहां लक्ष्मी स्वयं चलकर आती है. ऐसे स्थान को लक्ष्मी सुख समृद्धि से पूर्ण कर देती हैं. चाणक्य ने संस्कृत में इसे ऐसे लिखा है :
मूर्खा: यत्र न पूज्यंते धान्यं यत्र सुसंचितम्।
दाम्पत्यो: कलहो नास्ति तत्र श्री स्वयमागता।।
चाणक्य की इस बात को ऐसे समझें कि जिस राज्य में मूर्खों का सम्मान होता है, वह राज्य डूब जाता है. वहां की प्रजा परेशान रहती है. ऐसे राज्य में खुशहाली नहीं होती है. इसलिए मूर्खों के स्थान पर गुणवान व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए.
दूसरी ओर, जहां अन्न के भंडार भरे हों, वहां की प्रजा सुखी होती है. संकट आने पर प्रजा को दुख नहीं होता और असंतोष पैदा नहीं होता. जिस घर में पति-पत्नी के बीच कलह रहती है, वह घर नरक बन जाता है. सुख-समृद्धि घर से लौट जाती है. मानसिक तनाव की स्थिति में व्यक्ति कुछ भी नहीं कर पाता. योग्यता होने पर भी उसका उपयोग नहीं हो पाता और एक समय के बाद सब कुछ नष्ट हो जाता है.
Source : News Nation Bureau