कहते हैं जैसी संगत होती है इंसान वैसा ही धीरे-धीरे बन जाता है. यही कारण है कि हमें अच्छे आचरण वाले लोगों से दोस्ती करनी चाहिए. वहीं दोस्त ऐसे होने चाहिए जो सुख के समय में ही नहीं बल्कि दुख के समय में भी साथ रहे. वहीं आचार्य चाणक्य ने भी अपनी नीति के जरीए लोगों को यही समझाने की कोशिश की है . चाणक्य ने अपने नीति में कहा कि व्यक्ति को इन तीन तरह के लोगों से दूर रहना चाहिए. ये लोग है, गंदगी से भरे जगह पर रहने वाले, अकारण दूसरों को हानि पहुंचाने वाले और बुरे चरित्र वाले. अगर किसी भी व्यक्ति में ये तीन आदत हो तो उससे कभी दोस्ती नहीं करनी चाहिए. अगर ये जानते हुए भी आप ऐसे लोगों से दोस्ती करते हैं तो उसे बाद में बहुता पछताना पड़ता है.
बुरे चरित्र वाले, अकारण दूसरे को हानि पहुंचाने वाले और गंदे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के साथ जो पुरुष मित्रता करता है वो जल्दी नष्ट हो जाता है: आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि तीन तरह के लोगों से किसी भी पुरुष को मित्रता नहीं करनी चाहिए। ये तीन लोग बुरे चरित्र वाले, अकारण दूसरे को नुकसान पहुंचाने वाले और गंदे स्थान पर रहने वाले हैं.
बुरे चरित्र वाले लोगों से हमेशा दूरी बनाना चाहिए. अगर ऐसे लोगों से आप मित्रता करते है तो वो आपको अपनी तरह बनाने की कोशिश करेगा. आप कितनी भी कोशिश क्यों ना कर लें उस व्यक्ति के प्रभाव से खुद को बचा नहीं पाएंगें. ऐसे लोगों से प्रभावित होकर वैसा ही काम करना आपके लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है. वहीं बुरे चरित्र वाले लोगों का समाज में भी सम्मान नहीं होता है.
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वहीं जो बिना अकारण किसी दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता हैं, उससे तो कभी दोस्ती नहीं करनी चाहिए. ऐसे व्यक्ति भविष्य में आपको भी हानि पहुंचा सकता है. वहीं दूसरों को बिना किसी कारण के तंग करना व्यक्ति को पाप का भोगी बनाता है. तो मित्रता करते समय ध्यान रखें कि उसमें इस तरह के बातें न हो.
अगर कोई व्यक्ति गंदे स्थान पर रहता हो तो उससे भी बिल्कुल दोस्ती ना करें. ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्ति जिस स्थान पर रहता है उसकी सोच भी उसी तरह की हो जाती है. व्यक्ति की सोच पर उसके आसपास के माहौल का बहुत प्रभाव पड़ता है.