Chanakya Niti: इस बात में कोई संशय नहीं कि आचार्य चाणक्य की नीतियां वाकई सफलता की कुंजी हैं. अगर इनका अनुसरण पूर्ण रूप से जीवन में किया जाए तो व्यक्ति न सिर्फ जीवन में सक्सेस की सीढ़ियां चढ़ता चला जाता है बल्कि समाज में विशेष मान सम्मान भी पाता है. यूं तो चाणक्य नीति में लिखी व्यक्ति विशेष से जुड़ी बातों को हमने आप तक पहुंचाया है. लेकिन आज हम आपको चाणक्य नीति में लिखी रिश्तों से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं. आज चाणक्य नीति के जरिये हम ये जानेंगे कि आखिर वो कौन से प्रमुख कारण होते हैं जो किसी भी रिश्ते को बर्बादी की कगार तक ले जाते हैं.
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- किसी भी रिश्ते के टूटने की सबसे बड़ी वजह होती है अहंकार. जिस भी रिश्ते की नीव अहंकार पर बनी होगी या फिर अगर किसी रिश्ते में धीरे धीरे व्यक्ति का अहंकार जगह बनाने लगे तो समझ लें कि उस रिश्ते के ख़त्म होने की नौबत आ गई है. किसी भी रिश्ते में दो व्यक्तियों का समान अधिकार होता है और जब जब अहंकार इस अधिकार का हनन करता है तब तब रिश्ते में खटास आनी शुरू हो जाती है.
- आमतौर पर शक रूपी जहर पति पत्नी के रिश्ते को अपनी चपेट में ले लेता है. लेकिन कई बार ये जहर अन्य रिश्तों पर भी अपना प्रभाव डालता है. किसी भी रिश्ते में शक का होना दो लोगों के बीच विश्वास की कमी की ओर संकेत करता है. ऐसे में वो रिश्ता टूटना तय है.
- चाणक्य नीति के अनुसार, जिस रिश्ते की नीव ही झूठ हो या फिर जिस रिश्ते में धीरे धीरे झूठ पनपने लगे. उस रिश्ते का बर्बाद होना निश्चित है. एक रिश्ते में सत्य का आदान प्रदान ही रिश्ते की सबसे बड़ी ताकत होता है. ऐसे में जब झूठ इस ताकत को नष्ट करने लगे तो रिश्ते के टूटने की गुंजाइश बढ़ जाती है.
- रिश्ते में एक दूसरे के प्रति प्यार होना बहुत जरूरी होता है. लेकिन प्यार के साथ साथ सम्मान का भी अपना एक अलग महत्व है. रिश्ते में सम्मान की कमी होना रिश्ते की जड़ कमजोर करने जैसा है. ऐसे में रिश्ते को टूटने की कगार तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगता.