आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार थे. उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी. इन्होंने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया. आचार्य चाणक्य की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है. हर एक को प्रेरणा देने वाली है. अर्थशास्त्र के मर्मज्ञ होने के कारण इन्हें कौटिल्य कहा जाता था. आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान बताया है. चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन को बेहतर बनाने के तरीके के साथ ही दुष्ट लोगों से बचने के उपाय भी बताए हैं.
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र चाणक्य नीति में कुछ ऐसे अवगुणों के बारे में चर्चा की है जो मनुष्य की बुद्धि को पूरी तरह भ्रष्ट कर देते हैं और उसे अपने सिवा कुछ भी दिखाई नहीं देता. इसीलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि हमें ऐसे अवगुणों को तुरंत त्याग देना चाहिए। आइये जानते हैं कि चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे कौन अवगुण है जिसे हमें तुरंत त्याग देना चाहिए
चाणक्य नीति के अनुसार ये अवगुण हैं अहंकार, वासना और लालच. एक अहंकारी व्यक्ति को कभी सही और गलत का फर्क नजर नहीं आता क्योंकि उसे लगता है कि वो जो भी करता है सही ही करता है. जो लोग वासना के अधीन हैं, उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता. इसके अलावा लालच में पड़ा व्यक्ति हर जगह पैसे को पाने की तरकीब लगाता है. उसकी नजर दूसरों के पैसों पर टिकी रहती है. उसे अपने काम में अच्छा या बुरा दिखाई नहीं देता.
आचार्य चाणक्य का कहना था कि यदि जीवन में आगे बढ़ना है तो हमेशा धर्म के मार्ग पर चलें और बुद्धिमान व्यक्ति की तरह अपनी इंद्रियों को वश में रखें. अपने मन को वश में रखें. सीखने की आदत को कभी न छोड़ें. यदि व्यक्ति चाहे तो इंसान से ही क्या, जानवरों से भी काफी कुछ सीखा जा सकता है. जैसे गधे से तीन बातें सीखी जा सकती हैं – अपना बोझ ढोना न छोड़ें, लक्ष्य प्राप्ति के बीच सर्दी गर्मी की चिंता न करें और हर परिस्थिति में संतुष्ट रहें.
Source : News Nation Bureau