Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्यार्थी तो थे ही साथ एक अच्छे शिक्षक के तौर पर भी जाने गए. चाणक्य ने दुनिया के प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल की थी. उन्होंने उसी विश्वविद्यालय में शिक्षक के रूप में छात्रों को शिक्षा भी प्रदान की. दरअसल, शिक्षा के महत्व को आचार्य चाणक्य भलिभांति समझते थे. उनका कहना है कि विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. चाणक्य के अनुसार विद्यार्थी जीवन आगामी भविष्य की नींव होता है. उनका कहना है कि विद्यार्थियों को छात्र जीवन में अवगुणों को अपने से दूर रखना चाहिए. साथ ही ज्ञान अर्जित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. आचार्य चाणक्य के अनुसार विद्यार्थियों को इन सात व्यसनों से दूर रहना चाहिए.
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क्रोध और काम की भावना से दूरी बनाना जरूरी
आचार्य चाणक्य का कहना है कि काम की भावना से विद्यार्थियों को दूर रहना चाहिए. उनका कहना है कि ज्ञान अर्जन में काम की भावना से ध्यान भटकता है. इसके अलावा उनका कहना है कि विद्यार्थियों को क्रोध से भी बचना चाहिए, क्योंकि क्रोध की वजह से व्यक्ति का मन मस्तिष्क के ऊपर संतुलन नहीं रहता है और ज्ञानार्जन के लिए उसका मस्तिष्क एकाग्र नहीं हो पाता है.
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आचार्य चाणक्य के अनुसार विद्यार्थियों को वस्तु, धार्मिक लाभ और व्यक्ति के लोभ से भी दूर रहना चाहिए. उनका कहना है कि विद्यार्थियों को धन के लोभ में नहीं पड़ना चाहिए और किसी व्यक्ति विशेष के मोह में भी नहीं पड़ना चाहिए. इसके अलावा किसी भी प्रकार के धार्मिक लाभ में भी विद्यार्थियों को नहीं पड़ना चाहिए. विद्यार्थियों को खान-पान को लेकर संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है और उन्हें स्वादिष्ट व्यंजनों के कारण अधिक भोजन करने से बचना चाहिए. आचार्य चाणक्य का कहना है कि विद्यार्थियों को को श्रृंगार से दूर रहना चाहिए और जरूरत से ज्यादा हास्य विनोद भी नहीं करना चाहिए. इसके अलावा विद्यार्थियों को एक निश्चित समय पर सोना और निश्चित समय पर पढ़ाई करनी चाहिए.
HIGHLIGHTS
- आचार्य चाणक्य के अनुसार विद्यार्थियों को वस्तु, धार्मिक लाभ और व्यक्ति के लोभ से भी दूर रहना चाहिए
- विद्यार्थियों को खान-पान को लेकर संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है और अधिक भोजन करने से बचना चाहिए