अगर किसी व्यक्ति को जीवन में सफल और सुखी रहना है तो उसे चाणक्य नीति को अपनाना चाहिए. आचार्य चाणक्य की नीतियां बेहद कठोर मानी जाती है लेकिन ये जीवन की सच्चाई होती है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरीए पाप-पुण्य, कर्तव्य और अधर्म-धर्म के बारें में बताया है इनकी नीतियों के जरीए व्यक्ति अपने जीवन को बेहतरीन बना सकता हैं. आचार्य चाणक्य की नीतियों सालों से कारगार मानी जाती रही है. यहां हम आपको चाणक्य की उन नीतियं के बारे में बताने जा रहे है, जिसकी मदद से आप अपने जीवन को सफल बना सकते हैं.
चाणक्य नीति के पहले अध्याय के 15वें श्लोक में आचार्य चाणक्य ने लिखा है-
नखीनां च नदीनां च श्रृंगीणां शस्त्रपाणिनाम्।
विश्वासौ नैव कर्तव्यः स्त्रीषु राजकुलेषु च।।
आचार्य चाणक्य नीति के इस कथन के मुताबिक, बड़े-बड़े नाखून वाले प्राणियों से, सींग वाले प्राणियों का, शस्त्रधारी लोगों का, तेज से बहती नदी का, स्त्रियों का और राज परिवार के लोगों का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए. अर्थात चाणक्य बताना चाह रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति पर आंख बंद कर के भरोसा नहीं करना चाहिए. हमेशा अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए.
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इस श्लोक के माध्यम से चाणक्य यह बताना चाहते हैं कि तेज नाखून वाले और सिंग वाले जंगली जानवर शांत दिखने के बाद भी अचानक कब अशांत हो जाएं किसी को पता नहीं होता. कुछ ऐसा ही नदी के साथ भी है. नदी को पार करते समय उसकी गहराई और प्रवाह की जानकारी होनी चाहिए, नदी का वेग कब मुसीबत बन जाए इसका भी भरोसा नहीं होता. स्त्रियों के बारे में अक्सर ऐसा कहा जाता है कि वे अपने मन की बात किसी से नहीं कहती हैं, इसलिए तुरंत उन पर या किसी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए.
वहीं चाणक्य के इस कथन के मुताबिक, कभी भी किसी पर आंख बंद कर के भरोसा नहीं करना चाहिए. वहीं अगर कोई आपका दुश्मन है तो भले ही उसने अभी तक आपको नुकसान नहीं पहुंचाया हो. लेकिन उस पर भरोसा न करें क्योंकि वह कब नुकसान पहुंचा दे आपको पता भी नहीं होगा.
यहीं कारण है कि चाणक्य ने इन चीजों पर विश्वास करने से मना किया है. इन चीजों का सामना होने पर आप खुद को कैसे संभालेंगे इस बारे में विचार करके ही कदम आगे बढ़ाना चाहिए. आप भी अपने जीवन में इन बातों का ध्यान रखते हुए कदम आगे बढ़ना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- चाणक्य नीति जीवन को कामयाब बनाने में बेहद कारगार होती है
- किसी भी व्यक्ति पर आंख बंद कर के भरोसा नहीं करना चाहिए
- चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरीए पाप-पुण्य, कर्तव्य और अधर्म-धर्म के बारें में बताया है