Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितना कि पूर्व समय में. आचार्य चाणक्य की नीतियों का अनुसरण जीवन में व्यक्ति को सफलता दिला सकता है. वहीं, आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक के जरिए 4 ऐसी परिस्थितियों के बारे में बताया है, जो अगर किसी व्यक्ति को झेलनी पड़ें, तो उसके लिए जीवन जीना भी मुश्किल हो जाता है. वो हर पल घुटन भरी जिंदगी जीता है. आचार्य कहते हैं कि कान्तावियोगः स्वजनापमानं ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा, दारिद्र्यभावाद्विमुखं च मित्रं विनाग्निना पञ्च दहन्ति कायम्. इस श्लोक का अर्थ है आइए नीचे की स्लाइड्स में समझते हैं.
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पति पत्नी का वियोग
आचार्य चाणक्य का कहना था कि अगर किसी पति का उसकी पत्नी के साथ वियोग हो जाए, तो उसका जीवन दुख में डूब जाता है क्योंकि एक पत्नी अपने पति की हर छोटी छोटी बात का खयाल रखती है. पत्नी के जाने के बाद उस तरह खयाल रखने वाला कोई नहीं रहता. ऐसे में व्यक्ति को हर क्षण पत्नी का खयाल आता है. पत्नी के दुख में वो हर पल भीतर ही भीतर रोता है.
अपने ही परिवार द्वारा अपमान
आचार्य का मानना था कि अगर किसी व्यक्ति को अपने ही परिवार के लोगों से बेज्जत होना पड़े, तो उसके लिए जीवन एक बोझ के समान हो जाता है. ऐसे में व्यक्ति उस बेज्जती को भूल नहीं पाता और ग्लानि से भर जाता है. ऐसे में वो हर क्षण घुटन महसूस करता है.
कर्ज का बोझ
कोई व्यक्ति अगर किसी से कर्ज ले और चाहकर भी उस कर्ज को उतार न सके, तो ये परिस्थिति उसके लिए जीवन जीना दूभर कर देती है. ऐसे लोगों की रात की नींद और दिन का चैन सब गायब हो जाता है. वे अंदर ही अंदर घुट घुटकर जीते हैं.
गरीबी
आचार्य ने गरीबी को सबसे बड़ा अभिशाप माना है. आचार्य चाणक्य का कहना था कि गरीब के जीवन में कोई सुख नहीं होता और वो इस कारण मन ही मन में छटपटाता रहता है. सुख पाने की चाह में ऐसा व्यक्ति कई बार गलत राह पर भी चला जाता है, जिससे उसका जीवन और ज्यादा कष्टकारी हो जाता है.