Chanakya Niti: चाणक्य, भारतीय इतिहास में एक महान राजनीतिज्ञ, धार्मिक आचार्य, और विश्वविद्यालय के अध्यापक थे. वे भारतीय इतिहास में 'कौटिल्य' के नाम से भी जाने जाते हैं. चाणक्य का समय लगभग 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व माना जाता है. चाणक्य का अधिकतर जीवनकाल मौर्य साम्राज्य के बाहरी सलाहकार और अनुग्रही गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के निकट संबंध रहा है. चाणक्य को चंद्रगुप्त मौर्य की सलाहकार, राजनीतिक रणनीतिकार और प्रशासक के रूप में जाना जाता है. चाणक्य ने 'अर्थशास्त्र' नामक ग्रंथ का लेखन किया, जिसमें उन्होंने शास्त्रों, राजनीति, और आर्थिक व्यवस्था के बारे में विस्तृत ज्ञान प्रस्तुत किया. उनके 'कौटिल्य अर्थशास्त्र' के नियमों और सिद्धांतों को आज भी व्यापार, राजनीति, और प्रबंधन की दुनिया में महत्वपूर्ण माना जाता है. चाणक्य के विचार और उनकी रणनीतियाँ आज भी लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं और उनके द्वारा प्रस्तुत की गई राजनीतिक और आर्थिक सिद्धांतों का महत्व आज भी अद्वितीय है.
चाणक्य की अर्थशास्त्र के सिद्धांतों से हम आर्थिक तंगी से बचने के कई महत्वपूर्ण उपाय सीख सकते हैं. यहां चाणक्य की 10 जरूरी बातें:
नियमित धन संचय: "लघु वित्ते अक्षमस्य प्रवृत्तिः परिपन्थिनः." यानी कि छोटे धन की अच्छी संचय करनी चाहिए.
धन का सही इस्तेमाल: "विपरीते धनं आत्मानं परिभवं धनं अपि." यानी कि धन का सही इस्तेमाल करना चाहिए.
धन की संरक्षा: "संपत्तिं रक्षेद् धर्मेण, सत्येन प्रियतां प्रिये." यानी कि धन को धार्मिकता और सत्य के साथ संरक्षित रखना चाहिए.
धन का निर्माण: "यद्यपि धनमात्मनं धनं विना न संपद्यते." यानी कि धन को आत्मा के साथ ही निर्माण करना चाहिए.
धन का वितरण: "वित्तं प्रयोगे नियतम्, धनं प्रियान् नियतं प्रिये." यानी कि धन को उचित रूप से वितरित करना चाहिए.
धन का प्रबंधन: "पाण्डितेषु न तुष्टिरस्ति धनं, धर्मे सति नित्यं प्रसन्नेषु." यानी कि धन को धर्म के अनुसार प्रबंधित करना चाहिए.
धन की प्राप्ति: "यद्यपि धनं तु कामाये चाप्यपश्यंति मन्मतम्." यानी कि धन को ईश्वर की कृपा से ही प्राप्त किया जा सकता है.
धन की मान्यता: "सदाचारे धनं सद्यो निपतति, नृपाणां चारित्रमिति ब्रूते परंपरा." यानी कि धन को सदाचार के साथ प्राप्त करना चाहिए.
धन का उपयोग: "वित्तं नैवाच्छदैत् करोति योगं, परोपकाराय फलहेतुकत्वात्." यानी कि धन को दूसरों की मदद के लिए उपयोग करना चाहिए.
धन का उपयोगिता: "आप्तं धनं विना न भूयात्." यानी कि विश्वासपात्रों के बिना धन का मूल्य नहीं होता.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप visit करें newsnationtv.com/religion
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau