आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) की नीतियां व्यक्ति के जीवन में बेहद कारगार उपाय मानी जाती है. चाण्क्य ने अपनी नीतियों के जरीए लोगों को बहुत जरूरी और कड़ा संदेश दिया है. चाणक्य ने जीवन के हर पहलू को अपनी नीतियों में जगह दी है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरीए पाप-पुण्य, कर्तव्य और अधर्म-धर्म के बारें में बताया है इनकी नीतियों के जरीए व्यक्ति अपने जीवन को बेहतरीन बना सकता हैं. आचार्य चाणक्य की नीतियों सालों से कारगार मानी जाती रही है. चाणक्य नीति में ऐसी कई बातें बताई गई हैं, जिनका पालन करने से आप किसी भी समस्या से बाहर आ सकते है. चाणक्य नीति में जीवन को सफल बनाने के लिए कई बातों का जिक्र किया गया है. यहां हम आपको चाणक्य की उन नीतियं के बारे में बताने जा रहे है, जिसकी मदद से आप अपने जीवन को सफल बना सकते हैं.
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तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके।
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम् ।।
चाणक्य के इस श्लोक के मुताबिक, सांप का जहर उसके दांत में, मक्खी का उसके सिर में और बिच्छू का जहर उसके पूंछ में रहता है. अर्थात जहरीले जीवों के केवल एक-एक अंग में ही जहर होता है. लेकिन दुष्य प्रवृत्ति के लोगों के सभी अंग में जहर भरे होते हैं. इसलिए चाणक्य ने कहा कि दुष्ट स्वाभाव के व्यक्ति हमेशा दूसरें लोगों को दुख, तकलीफ देते रहते हैं. ऐसे व्यक्ति की सोच ही नकरात्मक होती है. तो अगर आप चाहते हैं कि आपका जीवन सुखी रहे तो हमेशा इस तरह के लोगों से बचकर रहना चाहिए.
राजा वेश्या यमो ह्यग्निस्तकरो बालयाचको।
पर दु:खं न जानन्ति अष्टमो ग्रामकंटका:।।
इस श्लोक के जरीए आचार्य चाणक्य के बताते हैं कि संसार में ऐसे आठ तरह के लोग हैं जो कभी किसी दूसरे व्यक्ति की समस्या और दुख को नहीं समझते हैं. चाणक्य के मुताबिक, यमराज, याचक, राजा, वेश्या और बालक को कभी कोई दुख का प्रभाव नहीं पड़ता है. इसके अलावा ग्रामीण और कमजोर वर्ग वालों को दुख पहुंचाने वाले पर भी किसी दूसरे के दुख का असर नहीं होता है. इन सभी लोगों में संवेदना की कमी होती है इसलिए इनसे कभी को तकलीफ या बातें साझा नहीं करनी चाहिए. ऐसे लोग उस दुख से कभी नहीं गुजरे होते हैं तो वो आपको कभी नहीं समझ सकते हैं. ऐसे लोगों से अपनी मन की व्यथा बताने पर आपको बाद में पछताना पड़ सकता है. ऐसे लोग आपके दुखों का पीठ पीछ मजाक भी बना सकते हैं. इसके अलावा वो आपकी समस्या को बढ़ा भी सकते हैं.