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Chankya Niti: इस प्रकार से प्राप्त धन का तुरंत कर देना चाहिए त्याग, वरना पड़ेगा भारी

आचार्य चाणक्य एक महान राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ थे. यहीं वजह है कि चाणक्य की नीतियों को लोग अपनाकर अपने जीवन को आसान और सरल बना सकते हैं.

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Vineeta Mandal
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Chanakya Niti

Chankya Niti ( Photo Credit : (फाइल फोटो))

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आचार्य चाणक्य की नीति बहुत कठोर मानी जाती है लेकिन वो हमेशा जीवन की सच्चाई लिखा करते थे. चाणक्य नीति व्यक्ति को सफल बनाने में भी बहुत मददगार होती है. हर व्यक्ति को इन नीतियों को अपने जीवन में लागू करना चाहिए. चाणक्य की नीतियां जीवन के रास्ते में बहुत मददगार साबित होती है. हालांकि इन द्वारा लिखे गए कई विचारों का कई लोग विरोध भी करते हैं. लेकिन आचार्य चाणक्य ही थे जिन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाकर सिंहासन पर विराजित करवाया था. आचार्य चाणक्य एक महान राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ थे. यहीं वजह है कि चाणक्य की नीतियों को लोग अपनाकर अपने जीवन को आसान और सरल बना सकते हैं.

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में कहा कि व्यक्ति को हमेशा धन को संचय कर के रखना चाहिए. बुरे समय में व्यक्ति का यही धन काम आता है. लेकिन चाणक्य ने ये भी बताया है कि इस तरकीब से कमाए गए धन के त्याग करने में ही भलाई है. वरना इस तरह से कमाए गए धन से व्यक्ति को फायदा नहीं बल्कि हानि ही मिलती है.

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अधर्म के रास्ते पर चलकर कमाया गया धन

आचार्य चाणक्य ने कहा कि ऐसे धन का हमेशा त्याग करना चाहिए धर्म के विरुद्ध जाकर प्राप्त किया गया हो. अधर्म के द्वारा कमाया गया धन के व्यक्ति को कभी नहीं फलता है.  गलत कामों से प्राप्त किया गया धन व्यक्ति को हमेश परेशानी में डालता है. जिसके बाद व्यक्ति के पास पछताने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं रह जाता है.  वहीं अधर्म के रास्ते पर चलकर कमाया गया धन व्यक्ति के मान-सम्मान पर आघात लगाता है. समाज में ऐसे लोगों का कोई दिल से सम्मान नहीं करता है.

शुत्र से मांगा गया धन

आचार्य चाणक्य का कहना है मनुष्य को ऐसे धन का त्याग कर देना चाहिए जिसके कारण उसे शत्रु के सामने गिड़गिड़ाना पड़े. यह धन व्यक्ति को हमेशा नीचे होने का एहसास करवाता है और उसके आत्मविश्वास को ठेस पहुंचाता रहता है. नतीजन, व्यक्ति ताउम्र अंदर ही अंदर घुटता रहता है. शत्रु से पैसे मांगने के बाद व्यक्ति को जीवन में एक पल भी शांति नहीं मिल पाती है.

दूसरों के दुख पहुंचार प्राप्त किया धन

जो धन दूसरों को तकलीफ और हानि पहुंचाकर प्राप्त किया गया है, उससे कभी सुख नहीं मिलता है. आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो धन किसी को हानि या फिर पीड़ा पहुंचाकर प्राप्त किया जाए ऐसे धन का त्याग करना ही उचित रहता है. ऐसा धन व्यक्ति की जीवन भर दुख ही देता है, ये कभी फलित नहीं होता है. तो अगर आप भी जीवन में कोई पछतावा नहीं रखना चाहते हैं तो तुरंत ही ऐसे धन का त्याग कर दें.

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