Gupt navratri mantra: माता दुर्गा, एक प्रमुख हिन्दू देवी हैं. वह शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं जिन्हें सम्पूर्ण भारत में पूजा जाता है. मां दुर्गा के रूपों में नौ मुखी दुर्गा, विजया, कालरात्रि, स्कंदमाता, कात्यायनी, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा और सिद्धिदात्री होती हैं. वह शक्ति की प्रतिष्ठा हैं और भक्तों को संसारिक संघर्षों से लड़ने में सहायता करती हैं. मां दुर्गा की पूजा वस्त्र, शिंदूर, माला, बेलपत्र, खिलौने, घी, गंध और पुष्पों के साथ की जाती है. उनकी पूजा नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से मनाई जाती है. माता दुर्गा के इन मंत्रों का उच्चारण भक्तों को शक्ति और संयम का आभास कराता है और उन्हें रोग, दुःख, और आपत्तियों से सुरक्षित रखने में सहायक होता है. ये मंत्र ध्यान, उत्साह, और शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं.
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
यह मंत्र माता चामुण्डा को समर्पित है और उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है. यह मंत्र मां चामुण्डा को समर्पित है और उसका अर्थ है "ओंकार से आरंभ, ऐं व्यापकता की प्रतिष्ठा, ह्रीं प्रेम और स्त्रीशक्ति, क्लीं कामना को नष्ट करने वाला, चामुण्डा नामक देवी की जय." यह मंत्र चामुण्डा देवी की पूजा और उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए जापित किया जाता है. इसके उच्चारण से व्यक्ति माँ चामुण्डा की कृपा प्राप्त कर सकता है और अन्य सांसारिक समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकता है.
ॐ दुं दुर्गायै नमः
यह मंत्र माता दुर्गा को समर्पित है और भक्तों को सुरक्षा और संयम की प्राप्ति में मदद करता है. ॐ दुं दुर्गायै नमः. यह मंत्र माँ दुर्गा को समर्पित है और इसका अर्थ है "ओंकार से आरंभ, दुं रक्षा और सुरक्षा की शक्ति, दुर्गा नामक देवी की नमः." यह मंत्र मां दुर्गा की कृपा और संरक्षण के लिए जापित किया जाता है. इसके उच्चारण से व्यक्ति मां दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकता है और अन्य संकटों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है.
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता
यह मंत्र माता दुर्गा की महिमा को स्तुति करता है और उनके शक्ति रूप की महत्वाकांक्षा करता है. "या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता" मंत्र का अर्थ है - "जो देवी सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में स्थित हैं." इस मंत्र का जप करने से प्रभु की शक्तियों का अनुभव किया जा सकता है और सभी प्राणियों में उनकी उपस्थिति की महत्ता को समझा जा सकता है.
सर्वमंगलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके
यह मंत्र भक्तों के लिए शुभ कार्यों की सफलता की प्राप्ति में मदद करता है और समस्त बुराईयों को दूर करने के लिए प्रार्थना करता है. "सर्वमंगलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके" मंत्र का अर्थ है - "जो सभी मंगलों का सर्वोत्तम है, जो सब प्राणियों के सारे लाभ को प्राप्त करने वाली है." इस मंत्र के जप से श्री शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी चाहित लाभ प्राप्त होते हैं.
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता
यह मंत्र माता शैलपुत्री को समर्पित है और उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है. "या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता" मंत्र का अर्थ है - "जो देवी सभी प्राणियों में माँ शैलपुत्री के रूप में स्थित हैं." इस मंत्र के जप से माँ शैलपुत्री की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्राणियों को उनकी उपस्थिति की महत्ता का अनुभव होता है.
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता
यह मंत्र माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित है और उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है. "या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता" मंत्र का अर्थ है - "जो देवी सभी प्राणियों में माँ ब्रह्मचारिणी के रूप में स्थित हैं." इस मंत्र के जप से मां ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्राणियों को उनकी उपस्थिति की महत्ता का अनुभव होता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau