Chaturdashi shradh 2020: पितृपक्ष के 14वें दिन को श्राद्ध चतुर्दशी (Chaturdashi shraddha) कहा जाता है. सर्व पितृ अमावस्या से एक दिन पहले पड़ने वाली तिथि को श्राद्ध चतुर्दशी कहा जाता है. इस दिन केवल उन्हीं लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी अकाल मौत हुई हो. स्वाभाविक मृत्यु होने वालों का श्राद्ध इस दिन नहीं किया जाता है. श्राद्ध चतुर्दशी आज बुधवार, 16 सितंबर को मनाया जा रहा है. जिस किसी ने आमहत्या की हो, जिनकी हत्या हुई हो या फिर किसी हथियार से मरने वालों या फिर एक्सीडेंट में मारे गए लोगों का श्राद्ध (Shraddha 2020) चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है.
कहा जाता है कि महाभारत (Mahabharat) में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि जिन लोगों की मौत अकाल यानी असमय हुई है यानी जिनकी मृत्यु स्वाभाविक तरीके से न हुई हो, उनका श्राद्ध पितृपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर ही करना चाहिए. स्वाभाविक मौत मरने वालों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करने से घर में परेशानी बढ़ सकती है.
कूर्म पुराण में कहा गया है कि चतुर्दशी पर नेचुरल डेथ वालों का श्राद्ध (Pitru paksha 2020) करने से संतान पक्ष को हानि होती है. परिवार में व्यक्ति को आर्थिक दिक्कत या बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
जिन परिजन की मौत की तिथि आपको ज्ञात नहीं है, उनका श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या तिथि (Shradh visarjan amavasya 2020) पर किया जाना चाहिए. इस दिन परिवार के सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों के लिए श्राद्ध करना चाहिए. इस दिन जरूरतमंदों को दान करना चाहिए. इस दिन ब्राह्मणों को सात्विक भोजन करवाना चाहिए.
Source : News Nation Bureau