Chaturmas 2024: हिंदू धर्म के लोगों ने अक्सर ये सुना होगा कि देव सो गए हैं या देव उठे हैं. लेकिन क्या आप इसका सही महत्व जानते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल 4 ऐसे महीने आते हैं जिसमें माना जाता है कि देव सो रहे हैं और इस बीच किसी भी तरह के शुभ कार्य को करना मना होता है, खासकर शादी विवाह, नामकरण या मुंडन जैसे शुभ कार्य इस दौरान वर्जित होते हैं. चातुर्मास एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक परंपरा है जो चार मास के अवधि को आचार्यों और संतों द्वारा अनुसरण की जाती है. इस अवधि में विशेष आचरण और व्रत अपनाए जाते हैं. इस साल 17 जुलाई से चातुर्मास शुरू हो रहा है और नवंबर में समाप्त होगा. चातुर्मास का मुख्य उद्देश्य तपस्या, ध्यान, जप, दान और वेदाध्ययन के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति है. कुछ लोग इन खास दिनों में विशेष प्रकार के भोजन और व्रत भी रखके हैं, जो शुद्धता और आत्मशुद्धि को प्राप्त करने में सहायक होते हैं. चातुर्मास के महीने में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए आइए जानते हैं.
चातुर्मास में क्या करना चाहिए (dos of chaturmas)
चातुर्मास, आध्यात्मिक चिंतन, आत्मनिरीक्षण और आत्म-शुद्धि का पवित्र काल माना जाता है. आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जिसे देवशयनी एकादशी (devshayani ekadashi) भी रहते हैं से प्रारंभ होता है और कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (देवोत्थान एकादशी) तक चार महीनों (आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और कार्तिक) तक रहता है. इस दौरान धार्मिक अनुष्ठानों, व्रतों, पूजा-पाठ और आध्यात्मिक आत्मविश्लेषण करना उत्तम माना जाता है. प्रतिदिन भगवान की पूजा करें, मंत्रों का जाप करें और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें. यज्ञों में भाग लें या स्वयं यज्ञ का आयोजन करें. कीर्तन और भजन में भाग लें और भगवान का गुणगान करें. जरूरतमंदों को दान करें और पुण्य कर्म करें. श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का व्रत रखें. प्रत्येक मास की एकादशी को व्रत रखें. पूरे चातुर्मास का व्रत (chaturmasya vrata) रखें. नियमित रूप से ध्यान और योग का अभ्यास करें. अपने विचारों, भावनाओं और कर्मों का आत्मविश्लेषण करें. गीता, रामायण, उपनिषद आदि आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें. संतों और महात्माओं के सत्संग में भाग लें. सकारात्मक सोच रखें और दूसरों के प्रति प्रेम और करुणा का भाव रखें. जरूरतमंदों की सेवा करें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें. आध्यात्मिक विकास और आत्म-शुद्धि प्राप्त करने में मदद मिलेगी. मन शांत और एकाग्र होगा और नकारात्मक विचारों और भावनाओं से मुक्ति मिलेगी. सकारात्मकता और आत्मविश्वास में वृद्धि होगी. जीवन में खुशी और संतोष प्राप्त होगा.
चातुर्मास में क्या नहीं करना चाहिए (donts of chaturmas)
चातुर्मास के दौरान विवाह समारोह, सगाई, सिर मुंडवाना और बच्चे का नामकरण, गृहप्रवेश जैसे तमाम मांगलिक कार्य करने की मनाही है. गृह निर्माण, वाहन खरीदना, या कोई नया व्यवसाय शुरू करना भी इस दौरान वर्जित माना जाता है. चातुर्मास के दौरान मांसाहार का त्याग करें और सात्विक भोजन ग्रहण करें. मद्यपान और धूम्रपान जैसी बुरी आदतों का त्याग करें. असत्य बोलना, क्रोध करना, और अन्य नकारात्मक विचारों और भावनाओं से बचें. किसी से भी विवाद या झगड़ा न करें, शांत और सकारात्मक रहें. इन महीनों में अत्यधिक भोजन करने से बचना चाहिए और सादा, सात्विक भोजन करना चाहिए. अनावश्यक खर्च करने से बचें, दान-पुण्य में धन का उपयोग करें. शारीरिक और मानसिक स्वच्छता के लिए आप प्रतिदिन स्नान करें और स्वच्छ रहें. स्वच्छ वस्त्र पहनें और नकारात्मक विचारों से मुक्त रहें और मन को शुद्ध रखें. चातुर्मास के नियमों का पालन धैर्य और संयम के साथ करने वाले को निश्चित की पुण्य फल की प्राप्ति होती है. किसी भी परिस्थिति में मन को शांत और स्थिर रखें और अपने इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण रखें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau