4 दिन का छठ का महापर्व आज यानि 4 नंवबर से शुरू हो रहा है। आस्था के इस महासंगम की शुरूआत नहाय खाय से होती है। इस दिन व्रती सुबह नहाकर प्रसाद बनाते हैं, पूजा के बाद प्रसाद को स्वयं ग्रहण करने के बाद परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटतें हैं। नहाय खाय के अगले दिन 5 नवंबर को खरना होगा जिसमें छठ के व्रती लोग पूरा दिन अखंड उपवास रखेंगे और शाम को खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं। 6 नवंबर को पानी में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य के सामने छठ की पूजा की जाएगा। ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत करने वाले अगले दिन सुबह 7 नवंबर को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा को संपूर्ण करेंगे।
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क्यो होता है छठ पर्व
सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे 'छठ' कहा जाता है। मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है। इस पर्व के बारे में पुराणों में भी उल्लेख मिलता है। बताया जाता है कि सूर्य पुत्र कर्ण जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना करते थे। पूजा के बाद कर्ण किसी भी याचक को खाली हाथ अपने घर से नहीं लौटाते थे।
साफ-सफाई के बाद चूल्हे पर तैयार होता है प्रसाद
इस दिन व्रती सुबह नहाकर प्रसाद बनाते हैं, पूजा के बाद प्रसाद को स्वयं ग्रहण करने के बाद परिवार के सदस्यों को प्रसाद देते हैं। छठ का प्रसाद चूल्हे में तैयार करने किया जाता है। घर की महिलाएं सामूहिक रूप से प्रसाद तैयार करती है। जिस दिन व्रती स्नान कर अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
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सूर्य को दें अर्घ्य
प्रसाद तैयर करने के बाद वत्री सूर्य देव की आराधना करती है। पूजा सामग्री में पांच तरह के फल, मिठाइयां, गन्ना, केले, नारियल, नींबू, शकरकंद, अदरक नया अनाज शामिल होता है। जिसके बाद भोजन ग्रहण किया जाता है।
खरना की करें तैयारी आज
पूजा करने के बाद छठ पर्व के दूसरे दिन यानि खरना की तैयारी की जाती है। जिसके लिए नहाय खाय के बाद खरीददारी की जाती है। इस सामान में सूप, दउरा, नारियल, फल, घी, तेल, पूजा का सामान, कपड़े, मेवा, साड़ियां और लहटी की खरीददारी की जाती है।
Source : News Nation Bureau