बिहार और पूर्वांचल का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2019) 2 नवंबर को है और इसकी शुरुआत 31 अक्टूबर से हो जाएगी. बिहार के अलावा यूपी, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल में भी छठी मईया की पूजा होती है. दिल्ली से दुबई और मुंबई से मेलबोर्न तक अपनी मिट्टी को छोड़ रह रहे लोगों को छठ महापर्व का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है. भारत के किसी कोने में बिहार और पूर्वांचल के लोग रह रहे हों लेकिन छठ पूजा (Chhath Puja) अपने गांव में ही मनाना चाहते हैं. यही वजह है कि 3 महीने पहले से ही देश के बड़े शहरों से यूपी-बिहार जाने वाली ट्रेनें फुल हो जाती हैं.
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था का पर्व 'छठ पूजा' मनाया जाता है. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय (31 अक्टूबर) होगा. इसमें व्रती का मन और तन दोनों ही शुद्ध और सात्विक होंगे. इस दिन व्रती शुद्ध सात्विक भोजन करेंगे. व्रती सुबह स्नान करने के बाद चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण करेंगी.
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इसके बाद खरना को 1 नवंबर को होगा. इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास के बाद शाम को पूजा-अर्चना करेंगी. फिर शाम के समय गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाकर छठ माता और सूर्य देव की पूजा करके खाते हैं. तीसरे दिन 24 घंटे उपवास के बाद शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. अगली सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद यह महापर्व समाप्त हो जाएगा.
महत्वपूर्ण तिथि
नहाय-खाए (31 अक्टूबर)
खरना का दिन (1 नवंबर)
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संध्या अर्घ्य का दिन (2 नवंबर)
उषा अर्घ्य का दिन (3 नवंबर)
शुभ मुहूर्त
पूजा का दिन- 2 नवंबर, शनिवार
पूजा के दिन सूर्योदय का शुभ मुहूर्त- 06:33
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का शुभ मुहूर्त- 17:35
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षष्ठी तिथि आरंभ- 00:51 (2 नवंबर 2019)
षष्ठी तिथि समाप्त- 01:31 (3 नवंबर 2019)
व्रती महिलाएं न करें ये काम
छठ में साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाता है, इसलिए इस दिन व्रत करने वाले को साफ सुथरे और धुले कपड़े ही पहनने चाहिए. छठ पर्व के 4 दिन व्रत करने वाले किसी भी व्यक्ति को बिस्तर पर भी सोना नहीं चाहिए.
कौन हैं छठ देवी और क्यों होती है पूजा?
मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं. उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना और उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर (तालाब) के किनारे यह पूजा की जाती है. षष्ठी मां यानी कि छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं. इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है और इसलिए छठ पूजा की जाती है.
छठी मैया से मिलते हैं सैकड़ों यज्ञों के फल
- छठी मैया का पूजा करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है.
- छठी मैया संतान की रक्षा करती हैं और उनके जीवन को खुशहाल रखती हैं.
- छठी मैया की पूजा से सैकड़ों यज्ञों के फल की प्राप्ति होती है.
- परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी छठी मैया का व्रत किया जाता है.
- छठी मैया की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो