पूरे देश के साथ-साथ विदेशों में छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है, छठ पूजा का पर्व एक ऐसा महापर्व है, जिसमें श्रद्धालु भक्तिमय होकर तन, मन और धन से इस पर्व को करने में पूरी तरह से जुट जाते हैं, बता दें छठ पूजा का महापर्व नहाय खाय के साथ शुरु होता है, आज यानी की 30 अक्टूबर को छठ पूजा का तीसरा दिन है, जिसमें आज शाम को तीसरे दिन संध्या का अर्घ्य दिया जाएगा.इस दिन जो महिलाएं व्रत 36 घंटे का कठिन व्रत रखकर वह शाम के समय सूर्य देव की अराधना करेंगी. इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्त्व है.सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रती महिलाएं पूरे परिवार के कल्याण की कामना करती हैं, कहते हैं हमारे ग्रह नक्षत्र में सूर्य देव का होना सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है.अगर आप सूर्य देवता को प्रसन्न करते हैं, तो सूर्य देव की कृपा आप पर सदैव रहेगी. इस दौरान आपको बता दें सूर्य देवता को अर्ध्य देते समय ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:, ॐ भानवे नम:, ॐ खगाय नम:, ॐ घृणि सूर्याय नम:, ॐ पूष्णे नम:, ॐ हिरण्यगर्भाय नम:, ॐ मरीचये नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ सवित्रे नम:, ॐ अर्काय नम:, ॐ भास्कराय नम:, ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम: मंत्र का जाप करें, इससे छठी मईया की सदैव कृपा आप पर बनीं रहेगी.
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छठ पूजा में बनने वाला महाप्रसाद का महत्त्व-
छठ पूजा में बनने वाला महाप्रसाद का विशेष महत्त्व है. बता दें छठ पूजा का महाप्रसाद विशेष तरीके से पूरे विधि विधान के साथ शुद्धता के साथ बनाया जाता है और यह महाप्रसाद खासकर सूर्यदेवता को चढ़ाने वाला महाप्रसाद है, इनका भोग लगाने मात्र से ही आपको सूर्य देवता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.इस महाप्रसाद में विशेष रुप से गुड़ से निर्मित ठेकुआ बनाया जाता है और इनका भोग लगाया जाता है, इसके बिना छठ का महाप्रसाद अधूरा है.वहीं महाप्रसाद में गुड़ से निर्मित खीर और चावल के लड्डू यानी की कसार शुद्ध घी में बनाए जाते हैं, और यह महाप्रसाद मिट्टी के चुल्हे में बनाया जाता है.
बांस के सूप में क्यों चढ़ाया जाता है छठ का महाप्रसाद-
बांस को वंशज का प्रतीक माना जाता है, परिवारों में बेटों की जितनी वंशज होती है, उतनी सूप चढ़ाई जाती है, मान्यता यह भी है कि आने वाले पीढ़ी के लिए भी बांस से बना सूप चढ़ाया जाता है, इससे वंशानुसार घर में कभी उनके वंश पर कभी कोई दिक्क्त नहीं आती है.
Source : News Nation Bureau