बिहार और पूर्वांचल का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) 2 नवंबर को है और इसकी शुरुआत 31 अक्टूबर से हो रही है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था का पर्व 'छठ पूजा' मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में आखिरी दो दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस साल 2 नवंबर शनिवार की शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
अगली सुबह यानी रविवार 3 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद यह महापर्व समाप्त हो जाएगा. छठ पूजा में अर्घ्य का बहुत महत्व है. अर्ध्य में नए बांस से बनी सूप व डाला का प्रयोग किया जाता है. सूप से वंश में वृद्धि होती है और वंश की रक्षा भी होती है. इसमें थोड़ी सी भी अज्ञानता आपके पूरे व्रत को निष्फल कर सकती है. अर्घ्य देते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जैसे..
- तांबे के पात्र से कभी दूध से अर्घ्य नहीं देना चाहिए.
- अगर सौभाग्य चाहते हैं तो पीतल के पात्र से दूध का अर्घ्य देना चाहिए.
- चांदी,स्टील,शीशा व प्लास्टिक के पात्रों से भी अर्घ्य देने के बाद आपको व्रत का फल नहीं मिलेगा.
- पीतल व तांबे के पात्रों से पानी का अर्घ्य देना चाहिए
छठ पूजा का पहला दिन (31 अक्टूबर 2019): नहाय-खाय
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय होता है. इसमें व्रती का मन और तन दोनों ही शुद्ध और सात्विक होते हैं. इस दिन व्रती शुद्ध सात्विक भोजन करते हैं. व्रती सुबह स्नान करने के बाद चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण करेंगी.
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छठ पूजा का दूसरा दिन (1 नवम्बर): खरना
पंचमी तिथि को खरना का विधान होता है व्रती सारा दिन निराहार रहते हैं और शाम के समय गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाकर छठ माता और सूर्य देव की पूजा करके खाते हैं.
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छठ पूजा का तीसरा दिन (2 नवम्बर): संध्या अर्घ्य
तीसरे दिन 24 घंटे उपवास के बाद शाम को पोखरे या तालाब के किनारे व्रती छठ माता की बेदी बनाकर पूजा करते हैं. अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रती कमर तक पानी में खड़े रहे हैं. सूरज जब डूब रहा होता है तो उस समय भगवान भास्कर को दिया अर्घ्य जाता है. इसके बाद व्रती घर पर पूजा की डलिया लेकर आते हैं. कई लोगों के यहां कोसी भी भरी जाती है.
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छठ पूजा का चौथा दिन (3 नवम्बर): उदीयमान सूर्य को अर्घ्य
तीसरे दिन रात्रि के तीसरे पहर से लोग पुनः घाटों पर जुटने शुरू हो जाते हैं. सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद यह महापर्व समाप्त हो जाता है.
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पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
- पूजा का दिन- 2 नवंबर, शनिवार
- पूजा के दिन सूर्योदय का शुभ मुहूर्त- 06:33
- छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का शुभ मुहूर्त- 17:35
- षष्ठी तिथि आरंभ- 00:51 (2 नवंबर 2019)
- षष्ठी तिथि समाप्त- 01:31 (3 नवंबर 2019)