Chhath Puja 2020: नहाय-खाय के साथ आज से छठ पर्व का विधिवत आगाज हो गया है. नहाय-खाय के अगले दिन खरना या लोहंडा (Kharna or lohanda) मनाया जाता है. इस दिन व्रती दिन भर निर्जला व्रत रहते हैं और शाम को गुड़ और गन्ने के रस से बनी खीर-पूरी का प्रसाद ग्रहण करते हैं. तीसरे दिन सांझ घाट होती है, जिसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और उसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रत का परायण किया जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि जिस छठी मइया की पूजा की जाती है, आखिर वो कौन हैं और सूर्य को अर्घ्य देने का वैज्ञानिक आधार क्या है.
छठ महापर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के छठे दिन पूजी जाने वाली षष्ठी मइया (Sasthi Maiya) को बिहार में आसान भाषा में छठी मइया (Chhathi Maiya) कहते हैं. माना जाता है कि छठी मइया सूर्य भगवान की बहन हैं. इसीलिए लोग सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मैया को प्रसन्न किया जाता है. दूसरी ओर, पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है. छठी माता को संतान सुख का आशीर्वाद देने वाली माता के रूप में जाना जाता है. संतान के लिए छठ पर्व मनाया जाता है. जिन दंपतियों को संतान नहीं हैं, उनके लिए छठी मइया की पूजा करना बहुत फलदायी माना जाता है.
अब आपको बताते हैं कि सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है? हम सबको पता है कि सूरज की किरणों से हमें विटामिन डी मिलती है और उगते सूर्य की किरणें बहुत फायदेमंद होती हैं. इसलिए सदियों से सूर्य नमस्कार को लाभकारी माना गया है. भारतीय योग विद्या में भी सूर्य नमस्कार का बहुत महत्व है. दूसरी ओर, विज्ञान की बात करें तो प्रिज्म के सिद्धांत के अनुसार सूरज की सुबह की किरणों से मिलने वाले विटामिन डी से प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है और त्वचा से संबंधित परेशानियां खत्म हो जाती हैं.
Source : News Nation Bureau