Chhath Puja 2024 Third Day: छठ पूजा के तीसके दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. हर साल दीवाली के बाद कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि से छठ महापर्व की शुरुआत होती है. पहला दिन नहाए खाए, दूसरा दिन खरना के बाद षष्ठी तिथि को संध्या अर्घ्य और फिर अगले दिन सूर्योदय को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व का समापन होता है. छठ पूजा के दौरान सूर्यास्त के समय यानि डूबते सूरज को जल दिया जाता है. बहुत से लोगों के मन में ये सवाल भी होता है कि डूबते सूर्य को जल देने का क्या महत्व है. इस बारे में जानेंगे साथ ही इस साल षष्ठी के दिन सूर्यास्त का समय क्या है ये भी जानेंगे.
सूर्यास्त का समय क्या है?
7 नवंबर को शाम 5 बजकर 32 मिनट पर सूर्यास्त होगा. इस समय आप संध्याकार अर्घ्य दे सकते हैं.
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
हिंदू धर्म में सूर्य को देवता माना जाता है. सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करने से कहते हैं कि कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है. लेकिन, छठ पूजा के दौरान सूर्यास्त के अर्घ्य का विशेष महत्व होता है. बहुत से लोगों के मन में ये सवाल होता है कि शाम के समय जब सूर्य डूबता है तो उसे जल देने का क्या लाभ है. ऐसा माना जाता है कि इस अर्घ्य से जीवन में चल रहे संघर्षों से छुटकारा मिलता है. डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन से अंधकार दूर होता है, नई ऊर्जा मिलती है और जब अगले दिन सूर्योदय को जल अर्पित करते हैं तो उससे जीवन की नई शुरुआत मानी जाती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)