भगवान चित्रगुप्त पूजा मुहूर्त
सुबह 6:35 से 7:30 बजे तक पूजा हुई और लेखनी की पूजा सुबह 11:45 से दोपहर 1:30 बजे तक होगी।
भगवान चित्रगुप्त की पूजा कैसे करें
सबसे पहले पूजा स्थान को साफ कर एक चौकी पर कपड़ा बिछाएं और चित्रगुप्त का फोटो स्थापित करें
दीपक जला कर चन्दन, हल्दी, रोली, अक्षत, दूब, पुष्प व धूप अर्पित कर पूजा करें
इसके बाद अपनी किताब, कलम, दवात की पूजा करें और उन्हें भगवान चित्रगुप्त के सामने रखें
इसके बाद कागज पर रोली से स्वास्तिक बनायें। उसके नीचे देवी देवतावों के नाम लिखें।
अब श्री चित्रगुप्त जी का ध्यान करते हुए 11 बार इस मंत्र का उच्चारण करें:-
मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम् ! महीतले |
लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते ||
चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकं |
कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नामोअस्तुते ||
अब सभी सदस्य श्री चित्रगुप्त जी की आरती गावें |
मंत्र पढ़ने के बाद भगवान चित्रगुप्त की आरती करें
जय चित्रगुप्त यमेश तव, शरणागतम, शरणागतम|
जय पूज्य पद पद्मेश तव शरणागतम, शरणागतम||
जय देव देव दयानिधे, जय दीनबंधु कृपानिधे |
कर्मेश तव धर्मेश तव शरणागतम, शरणागतम||
जय चित्र अवतारी प्रभो, जय लेखनीधारी विभो |
जय श्याम तन चित्रेश तव शरणागतम, शरणागतम||
पुरुषादि भगवत् अंश जय, कायस्थ कुल अवतंश जय |
जय शक्ति बुद्धि विशेष तव शरणागतम, शरणागतम||
जय विज्ञ मंत्री धर्म के, ज्ञाता शुभाशुभ कर्म के |
जय शांतिमय न्यायेश तव शरणागतम, शरणागतम||
तव नाथ नाम प्रताप से, छूट जाएँ भय त्रय ताप से |
हों दूर सर्व क्लेश तव शरणागतम, शरणागतम||
हों दीन अनुरागी हरि, चाहें दया दृष्टि तेरी |
कीजै कृपा करुणेश तव शरणागतम, शरणागतम||
पूरी पूजा होने के बाद अंत में प्रणाम करें और प्रसाद का वितरण करें।
और पढ़ें: भैया दूज पर इस शुभ मुहूर्त में करें भाई को टीका और जानें इसके पीछे की कहानी
Source : News Nation Bureau