आज पूरे देश में क्रिसमस को रौनक देखने को मिल रही है, हर जगह लोग इसके रंग में रंगे नजर आ रहे हैं. हर कोई अपने-अपने अंदाज में 25 दिसंबर को सेलिब्रेट करने की तैयारी में जुटा हुआ है. कोई इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिये घर सजा रहा है, कोई क्रिसमस ट्री तैयार कर रहा, कोई केक काटने और पार्टी करने की तैयार कर रहा है. विश्व के लगभग सौ देशों में क्रिसमस का त्यौहार बड़े उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है.
अमेरिका में 1870 से क्रिसमस के दिन को राजकीय अवकाश रखा जाता है. इस दिन को ईसाईयों के साथ सभी धर्मों के लोग बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं. इस पर्व को प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाते हैं, जिन्होंने अपने चमत्कारों से दुनियाभर में इस धर्म की नीव रखी थी. इस दिन लोग क्रिसमस पेड़ सजाते हैं,उपहार बांटते हैं और साथ में भोजन इत्यादि करते हैं.
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प्रभु ईसा मसीह के जन्म का वास्तविक दिन का इतिहास तो अब तक पता नहीं चल सका है, क्योंकि प्रभु ईसा मसीह के जन्म के तीन शताब्दियों तक उनका जन्मदिन नहीं मनाया जाता था. बाइबिल में भी कहीं पर भी प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन का वास्तविक दिन नहीं लिखा हुआ है. प्रभु यीशू केवल के जन्म पर उपस्थित गडरिये सर्दी और बसंत के बीच को ही उनका जन्मदिन मानते थे.
कृष्ण और ईसा मसीय का कनेक्शन-
ईसा मसीह(Isha Maseeh) के बारे में कई तरह की बातें वक्त-वक्त पर सामने आती रहीं हैं. उनमें से कुछ को विवादित माना गया और कुछ पर अभी भी शोध जारी है. दावों के अनुसार जहां एक तरफ ईसा मसीह का कश्मीर से कनेक्शन बताया जाता है तो वहीं एक दावे के अनुसार उनको कृष्ण भक्त भी बताया गया है. हालांकि इन बातों के सच होने का हम दावा नहीं करते. तो चलिए इसी आधार पर जानते हैं ईसा मसीह का भारत कनेक्शन और उनके कृष्ण(krishna) भक्त होने की क्या है कहानी.
सबसे पहले बात करते हैं ईसा मसीह के कश्मीर कनेक्शन की तो.. कश्मीर में श्रीनगर के डाउनटाउन इलाके में एक रोजाबल नाम की इमारत है. दावा किया जाता है कि ये रोजाबल श्राइन, ईसामसीह की कब्र है. वैसे रौजा का अर्थ होता है कब्र और बल का मतलब होता है, जगह. रोज़ाबल की कहानी में कई रोचक पेंच हैं. उनकी बात करने से पहले बता दें कि ईसा मसीह के जीवन से जुड़ी तीन ऐसी घटनाए हैं जिनपर कई कॉन्सपिरेसी थ्योरीज हैं.
1- 13 से 29 वर्ष के बीच कहां रहे ईसा मसीह?
एक यहूदी बढ़ई की पत्नी मरियम (मेरी) के गर्भ से यीशु का जन्म बेथलेहेम में हुआ था. एक थ्योरी के अनुसार ईसा मसीह की 13 से 30 साल की उम्र के बीच की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है जिस पर कई लोग दावा करते हैं कि इस बीच वे हिंदुस्तान आए और बुद्ध के प्रभाव में रहे. ईसा की शिक्षाओं में कई जगहों पर बुद्ध की बातों के साथ समानताओं को इसका आधार बनाया जाता है.
2- मैरी मेग्डैलिन से विवाह
दूसरी थ्योरी उनके मैरी मेग्डैलिन से विवाह, उनकी एक संतान होने और उसकी रक्षा ‘प्रायरी ऑफ ज़ायान’ नाम के संगठन के द्वारा किए जाने की है. इस पर प्रसिद्ध लेखक डैन ब्राउन किताब लिख चुके हैं. द विंची कोड नाम की इस किताब पर इसी नाम से फिल्म बनी है. इसके बाद से ये थ्योरी काफी चर्चित हुई है.
3- जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया
तीसरी कहानी ईसा को सूली पर चढ़ाए जाने को लेकर है. ईसाई मान्यताओं के मुताबिक ईस्टर के दिन ईसा का पुनर्जन्म हुआ था. यहां तक तो कोई समस्या नहीं है. मगर ट्विस्ट इसके बाद आता है. ईसाई मानते हैं इसके बाद वो स्वर्ग चले गए और संशयवादी मानते हैं कि वो एशिया में जाकर गुमनाम जिंदगी बिताने लगे. इस धारणा के पीछे का तर्क है कि भारत में ईसाइयत लगभग 2,000 सालों से है. मतलब ईसा को सूली पर लटकाए जाने के तुरंत बाद से.
अब बात रोजाबल की.. स्थानीय निवासी कहते हैं कि ये युज़ असफ की कब्र है. युज़ असफ, अहमदिया मुस्लिमों का ईसा को दिया गया नाम है. इन धारणाओं के कारण अहमदिया मुस्लिम, बाकी मुसलमानों के निशाने पर रहा है.
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बहुत से लोग दावा करते हैं कि वे क्रॉस पर चढ़े जरूर थे लेकिन उनकी मौत नहीं हुई थी. जब क्रॉस पर चढ़ाया गया था तब उनकी उम्र लगभग 33 वर्ष थी. कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि भारत के कश्मीर में जिस बौद्ध मठ में उन्होंने 13 से 29 वर्ष की उम्र में शिक्षा ग्रहण की थी उसी मठ में पुन: लौटकर अपना संपूर्ण जीवन वहीं बिताया. कश्मीर में उनकी समाधि को लेकर बीबीसी पर एक रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई है. रिपोर्ट के अनुसार श्रीनगर के पुराने शहर की एक इमारत को 'रौजाबल' के नाम से जाना जाता है. यह रौजा एक गली के नुक्कड़ पर है और पत्थर की बनी एक साधारण इमारत है जिसमें एक मकबरा है, जहां ईसा मसीह का शव रखा हुआ है. श्रीनगर के खानयार इलाके में एक तंग गली में स्थिति है रौजाबल.
वैसे रोज़ाबल की इमारत में शियाओं के 8वें इमाम मूसा रज़ा के वंशज, संत मीर सैय्यद नसीरुद्दीन की भी मज़ार है और इसकी देखभाल सुन्नियों का एक बोर्ड करता है. इस इमारत में एक पत्थर भी है. इस पत्थर पर दो पैरों की छाप है. इसके अलावा कब्र इस्लामिक नहीं यहूदी कायदों से बनी है.
कश्मीर के इतिहास में नहीं है जिक्र
यहां इन दावों के बीच हैरानी की बात यह है कि रोजाबल श्राइन का कोई भी ज़िक्र कश्मीरी बौद्ध इतिहास में नहीं मिलता है. इतिहास में पहली बार इसकी चर्चा 1747 में हुई. जब श्रीनगर के सूफी लेखक ख्वाजा मोहम्मद आज़म ने अपनी किताब ‘तारीख आज़मी’ में लिखा कि ये मज़ार एक प्राचीन विदेशी पैगम्बर और राजकुमार युज़ असफ की है.
कहा जाता है कि1965 की जंग के दौरान इसको नष्ट करने की भी कोशिश हुई, मगर इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है. लेखक अश्विन सांघी इस पर ‘रोजाबल लाइन’ के नाम से उपन्यास लिख चुके हैं. वहीं BBC चैनल 4 ने ‘हिडन स्टोरी ऑफ जीसस’ के नाम से एक डॉक्युमेंट्री भी बनाई. इसमें रोज़ाबल के अंदर की फुटेज भी दिखाई गई है. डॉक्युमेंट्री में जहां युज़ असफ के ईसा होने की संभावना को खुला रखा गया, वहीं BBC के कुछ लोगों ने कहा इस कहानी में स्थानीय व्यापारी मसाला मिलाकर परोस रहे हैं ताकि विदेशी वहां घूमने आएं.
अब हम आपको बताने जा रहे हैं ईसा मसीह को लेकर किए गए एक अन्य दावे के बारे में जिसके अनुसार ईसा मसीह को कृष्ण भक्त भी कहा गया है.
क्या ईसा मसीह कृष्ण भक्त थे-
जी हां लुईस जेकोलियत (Louis Jacolliot) ने 1869 ई. में अपनी एक पुस्तक 'द बाइबिल इन इंडिया' (The Bible in India, or the Life of Jezeus Christna) में लिखा है कि जीसस क्रिस्ट और भगवान श्रीकृष्ण एक थे. लुईस जेकोलियत फ्रांस के एक साहित्यकार और वकील थे. इन्होंने अपनी पुस्तक में कृष्ण और क्राइस्ट पर एक तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है. 'जीसस' शब्द के विषय में लुईस ने कहा है कि क्राइस्ट को 'जीसस' नाम भी उनके अनुयायियों ने दिया है. इसका संस्कृत में अर्थ होता है 'मूल तत्व'.
इन्होंने अपनी पुस्तक में यह भी कहा है कि 'क्राइस्ट' शब्द कृष्ण का ही रूपांतरण है, हालांकि उन्होंने कृष्ण की जगह 'क्रिसना' शब्द का इस्तेमाल किया. भारत में गांवों में कृष्ण को क्रिसना ही कहा जाता है. यह क्रिसना ही योरप में क्राइस्ट और ख्रिस्तान हो गया. बाद में यही क्रिश्चियन हो गया.
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लुईस के अनुसार ईसा मसीह अपने भारत भ्रमण के दौरान भगवान जगन्नाथ के मंदिर में रुके थे. एक रूसी अन्वेषक निकोलस नोतोविच ने भारत में कुछ वर्ष रहकर प्राचीन हेमिस बौद्ध आश्रम में रखी पुस्तक 'द लाइफ ऑफ संत ईसा' पर आधारित फ्रेंच भाषा में 'द अननोन लाइफ ऑफ जीजस क्राइस्ट' नामक पुस्तक लिखी है. इसमें ईसा मसीह के भारत भ्रमण के बारे में बहुत कुछ लिखा हुआ है. हालांकि इन लेखकों के दावे कितने सच हैं यह तो हम नहीं जानते.
इन दावों में कितना सच है और कितनी कल्पना यह तो हमें नहीं पता मगर ये इतिहास की अभी तक एक न सुलझने वाली रोचक पहेली ज़रूर हैं.
Source : News Nation Bureau