Dahi Handi 2024: दही-हांडी विशेष रूप से महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के अगले दिन बड़े उत्साह और धूमधाम से मनायी जाती है. यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव से जुड़ा हुआ है. दही-हांडी का आयोजन भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को स्मरण करने के लिए किया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, बालकृष्ण को मक्खन और दही बेहद प्रिय थी. वे अक्सर अपने सखाओं के साथ गोकुल के घरों में लटकी हुई मटकियों को फोड़कर उसमें से मक्खन चुराया करते थे. इस शरारती लीला के चलते उन्हें माखनचोर कहा जाने लगा.
दही-हांडी कैसे मनाया जाता है?
दही-हांडी के दिन मटकी में दही, मक्खन, और अन्य मिठाइयां रखकर उसे ऊंचाई पर बांध दिया जाता है. इस मटकी को फोड़ने के लिए अलग-अलग टीमों में प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. मटकी फोड़ने वाली टीमों को कुछ लोग गोविंदा भी कहते हैं. मटकी फोड़ना आसान नहीं होता क्योंकि मटकी तक पहुंचने के लिए मानव पिरामिड बनाया जाता है. यह खेल न केवल शारीरिक शक्ति और संतुलन बल्कि टीम भावना और एकता का प्रतीक भी माना जाता है.
दही हांडी क्यों मनाया जाता है?
दही-हांडी सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि यह समाज में भाईचारे, सहयोग, और सहयोगिता का संदेश देता है. यह हमें सिखाता है कि बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए. साथ ही, यह परंपरा भारतीय संस्कृति की समृद्धि और धार्मिकता को दर्शाती है. इस प्रतियोगिता में पुरुष और महिलाएं दोनों ही भाग लेते हैं. टीमों का प्रयास रहता है कि वे मटकी को सबसे पहले फोड़ें और पुरस्कार जीतें. इस दौरान दर्शक जयकारे लगाते हैं, गीत गाते हैं और पूरा माहौल उत्साह से भर जाता है. आजकल दही-हांडी प्रतियोगिताओं में नकद इनाम और ट्रॉफियां भी दी जाती हैं, जिससे प्रतियोगिता और भी रोमांचक हो जाती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)