Darsh Amavasya 2023 : दिनांक 17 जून को दर्श अमावस्या मनाया जाएगा. दर्श अमावस्या पर चंद्रमा दिखाई नहीं देता है. इस दिन पूर्वजों की पूजा करने का विधि-विधान है और चंद्रमा का दर्शन करना बेहद जरूरी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि दर्श अमावस्या के दिन पूर्वज स्वर्ग से धरती पर आते हैं और अपने परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं. इसलिए इस दिन पूर्वजों के लिए खासकर पूजा की जाती है. इस अमावस्या को श्राद्ध अमावस्या के नाम से जानते हैं. अगर आप इस दिन पितृदोष से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो ये लेख आपके लिए ही है, इस दिन दान-पुण्य करने का खास महत्व है.
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दर्श अमावस्या का है खास महत्व
अगर आप पितृदोष से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो इस दिन पितरों को प्रसन्न करना बेहद जरूरी है. इस दिन सुबह स्नान कर तर्पण करें. इससे व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है और घर-परिवार में हमेशा सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है. वहीं अर जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है, तो उन्हें द्रश अमावस्या के दिन चंद्रदेव की प्रार्थना करनी चाहिए. इससे व्यक्ति का भाग्योदय होता है और घर में धन का आगमन होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन प्रेत-आत्माएं सक्रिय हो जाते हैं. इसलिए इस दिन बुरे कार्यों से दुरी बनाकर रखनी चाहिए. इस दिन पूजा-पाठ और धार्मिक कार्य में खासकर ध्यान देना चाहिए. अगर आपको मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है, तो इस दिन आप सच्चे मन से चंद्रमा की पूजा करें. इससे आपको जल्द सफलता मिलेगी.
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चंद्रमा के दर्शन करने से सुख-समृद्धि में होती है वृद्धि
ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति दर्श अमावस्या के दिन चंद्रमा के दर्शन करता है, उसके ज्ञान, धन औऱ सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान कर लें औऱ अपने पितरों को याद करते हुए गरीबों को सफेद वस्त्र का दान करें. इससे व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है और परिवार में सुख-शांति का माहौल बना रहता है.