Dattatreya Jayanti 2022 : हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्त्व होता है. देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. यही नहीं हमारी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है. ऐसे में आपको बता दें, दिनांक 07 दिसंबर दिन बुधवार को भगवान दत्तात्रेय जयंती मनाई जाएगी. भगवान दत्तात्रेय को भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का अंश माना जाता है. इनका जन्म मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को हुआ था. यही वजह है कि, इस दिन पूर्णिमा का खास महत्त्व है. इस दिन जो व्यक्ति भगवान की सच्चे मन से पूजा करता है, उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं. आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा का महत्त्व क्या है, पूजन विधि क्या है, कौन से मंत्र का जाप करने से सारे दोषों का निवारण होता है.
क्या है भगवान दत्तात्रेय की पूजा का महत्त्व?
पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के पुत्र दत्तात्रेय, जो तीन मुख वाले हैं, इनकी जयंती मार्गशीर्ष माह के पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है. मान्यतानुसार जो भक्त इनकी पूजा सच्चे मन से विधिवत तरीके से करता है, उनको सुख-समृद्धि मिलती है और उनको सारे रोग-दोष से मुक्ति मिलती है. भगवान दत्तात्रेय कष्टों का शीघ्र निवारण भी करते हैं.
क्या है दत्तात्रेय जयंती की पूजन विधि
- इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर मंदिर की सफाई करें. इसके बाद सफेद रंग का आसन बिछाकर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति स्थापित करें, फिर गंगाजल से अभिषेक करें. भगवान दत्तात्रेय को धूप, दीप, फूल, फल भी अर्पित करें.
- भगवान दत्तात्रेय को केसर से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
- इस दिन गीता का पाठ अवश्य करें, इससे सारे दुख और बाधाएं खत्म हो जाती हैं.
इस दिन करें इन मंत्रों का जाप
1. बीज मंत्र का 11 बार जाप करें.
ॐ द्रां
2. तांत्रोक्त दत्तात्रेय मंत्र का 21 बार जाप करें.
'ॐ द्रांदत्तात्रेयाय नम:'
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3. दत्त गायत्री मंत्र का 51 बार जाप करें.
ॐ दिगंबराय विद्महेयोगीश्रारय्धीमही तन्नो दत: प्रचोद
4. दत्तात्रेय के महामंत्र का 21 बार जाप करें.
'दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा'