देश में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के शोर के बीच भगवान हनुमान (Lord Hanuman) पर बहस छिड़ गई है. उनकी जाति, धर्म को लेकर तमाम अनर्गल बातें कही जा रही हैं. तर्क-कुतर्क से एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ सी मच गई है. उधर, एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका (America, US) में भगवान हनुमान (Lord Hanuman) की मौजूदगी के निशान मिले हैं. वहां एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खोजी थिएडॉर मॉर्ड (Theodore Morde) मध्य अमेरिका (Middle America) के जंगलों की खाक छानकर लौटे तो वे अभिभूत थे. उन्होंने साथियों को बताया था कि एक ऐसा कबीला या फिर एक गांव जैसा दिखने वाला शहर है, जहां का देवता एक ‘बंदर (Monkey) जैसा दिखने वाला’ इंसान था. यह सुनकर साथी लोग हैरान रह गए थे. अब सोशल मीडिया (Social Media) पर इसे शेयर किया जा रहा है और तस्वीर भी पोस्ट (Post) किए जा रहे हैं. थिएडॉर मॉर्ड (Theodore Morde) और उनकी खोज को लेकर एक किताब भी लिखी गई है, जिसका अंश न्यूयॉर्क टाइम्स (New York Times) की वेबसाइट www.nytimes.com/2017/01/18/books/review/lost-city-of-monkey-god-douglas-preston.html पर पोस्ट की गई है.
सोशल मीडिया (Social Media) पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मॉर्ड (Theodore Morde) उस जगह का नाम ‘लास्ट सिटी ऑफ मन्की गॉड (The Last City Of Monkey God) ’ बताते हैं. विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों से ‘ला क्यूडिआड ब्लान्का’ नाम की जगह को खोजा जा रहा था, लेकिन मॉर्ड की खोज (Discovery Of Morde) ने उन्हें एक नया मोड़ दिया. मॉर्ड (Theodore Morde) की खोज की मानें तो मध्य अमेरिका के मसक्यूशिया, वर्षा जंगलों में करीब 32,000 वर्ग मील में फैली एक ऐसी जगह है, जो लोगों की नज़रों से छिपी हुई है. इस जगह को खोजने के लिए वे एक साथी लॉरेन्स (Lorrence) के साथ 4-5 महीनों तक उन जंगलों में भटकते रहे. वहां की दीवारें कोई आम पत्थर से नहीं, बल्कि सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनी हुई थी. मार्ड की खोज के आधार पर वैज्ञानिकों ने इस जगह को ‘दि व्हाइट सिटी (The White City)’ का नाम दिया है.
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मार्ड (Theodore Morde) अपनी खोज में बताते हैं, उस जगह को देखकर ऐसा लगा कि मानो यहां कभी कोई बड़ा साम्राज्य रहा होगा. उस शहर के चारों ओर उन सफेद दीवारों का घेरा था. कुछ लोगों से पूछताछ करने पर मॉर्ड (Theodore Morde) को पता लगा कि यहां कोई ऐसी प्रजाति रहा करती थी, जिनका देवता एक बंदर (Monkey) की भांति दिखने वाला मानव था. वह न तो पूरी तरह से मानव था और ना ही पूर्ण रूप से बंदर. लोगों का मानना है कि शायद आज भी उस विशाल बंदर की कोई मूर्ति वहां की जमीन के नीचे दबी हुई है. मार्ड (Theodore Morde) की खोज THE LOST CITY OF THE MONKEY GOD : A True Story पर Douglas Preston की एक किताब प्रकाशित हुई, जिसका रिव्यू न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित किया गया है.
स्थानीय जनसंख्या के अनुसार वहां रहने वाले लोगों द्वारा उस स्थान और अपने प्रभु को पाने के लिए कई तरह के युद्ध भी लड़े गए थे और युद्ध जीतने के बाद रिवाज़ के रूप में उन्होंने उन मृत शवों को ग्रहण भी किया था. यह सुनने में बेहद अटपटा लगता है लेकिन सच में उस समय वहां क्या हुआ था, यह आज भी रहस्य बना हुआ है. मॉर्ड द्वारा जिस जगह की खोज की गई थी, ठीक उसी जगह का उल्लेख रामायण में हजारों वर्षों पहले किया गया था. रामायण के किष्किंधा कांड के मुताबिक हनुमान एक समय पर मध्य अमेरिका जरूर गए थे. हनुमान हिन्दू धर्म से संबंधित ऐसे भगवान हैं, जिनका शरीर देखने में तो बिल्कुल एक बंदर की भांति थे, लेकिन उनकी चाल-ढाल व वाणी इंसानों वाली थी.
रामायण में क्या है उल्लेख
रामायण के इस अध्याय में कहा गया है, एक बार हनुमान पाताल लोक गए थे. वर्तमान में पाताल लोक को मध्य अमेरिका तथा ब्राजील का हिस्सा ही माना जाता है, क्योंकि यह पृथ्वी के ग्लोब के आधार पर भारत देश से बिल्कुल उल्टी दिशा में पड़ता है, जो जमीन से काफी नीचे है. इसीलिए इसे पाताल लोक माना गया था. इस अध्याय के अनुसार एक बार हनुमानजी अपने पुत्र मकरध्वज से मिलने पाताल लोक गए थे, जो हूबहू भगवान हनुमान की तरह ही दिखते थे. पाताल लोक पहुंचने पर हनुमानजी का पाताल के राजा से भीषण युद्ध हुआ, जिसमें पाताल लोक का राजा मारा गया और हनुमान जी ने अंत में पाताल लोक को अपने पुत्र के नाम घोषित कर दिया.
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राजा बनने के बाद वहां के सभी लोग मकरध्वज को अपना भगवान मानकर उनकी पूजा करने लगे. यह एक कारण हो सकता है कि क्यों मॉर्ड द्वारा खोजी हुई उस जगह पर लोगों द्वारा एक बंदर जैसे दिखने वाले जीव की पूजा की जाती थी. हो सकता है कि मॉर्ड द्वारा खोजे गए शहर के वासियों का देवता और भगवान हनुमानजी के पुत्र मकरध्वज एक ही हों. दूसरी ओर कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि वह देवता स्वयं भगवान हनुमान ही हो सकते हैं. अपनी खोज से वापस लौटते समय मॉर्ड अपने साथ निशानी के तौर पर काफी सारी चीज़ें लेकर आए थे, ताकि वैज्ञानिक उनकी खोज पर यकीन कर सकें.
मार्ड ने जाने का रास्ता नहीं बताया
किन्तु मॉर्ड ने अपनी खोज की सारी बातें कभी भी विस्तार से नहीं बताई थी. ना ही उन्होंने कभी बताया कि जिस व्हाइट सिटी को उन्होंने खोज निकाला था, उस तक पहुंचाने का रास्ता क्या है. मॉर्ड ने वैज्ञानिकों से कई अनुभव बांटे लेकिन मूल संदर्भ से कुछ भी नहीं बताया. यह भी हो सकता है कि इन तथ्यों के अलावा और भी ना जाने कितने ही अनगिनत प्रमाण होंगे जो मॉर्ड ने वैज्ञानिकों से छिपा कर रखे थे. कहते हैं मॉर्ड नहीं चाहते थे कि वैज्ञानिक उनसे दोबारा जाने से पहले ही उस जगह को खोज निकालें और वहां की खूबसूरती और अनमोल वस्तुओं को चुराकर वहां की चीज़ों को नष्ट कर दें.
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यह खोज 12 जुलाई 1940 को हुई थी. 1954 में रहस्यमयी तरीके से मॉर्ड की मौत हो गई और उस जगह का हर एक राज़ उनके साथ ही खत्म हो गया, लेकिन उनके बताए हुए तथ्यों को आधार बनाकर हुए आज भी वैज्ञानिक उस जगह को खोज रहे हैं. उनका मानना है कि वे जल्द ही उस जगह को खोज निकालेंगे, जिसका वर्णन मॉर्ड द्वारा वर्षों पहले किया गया था. देश में भगवान हनुमान पर छिड़ी बहस के बीच सोशल मीडिया पर मार्ड के खोज के तथ्यों को जमकर शेयर किया जा रहा है.
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Source : Sunil Mishra