आज यानी 25 नवंबर को देश भर में देवोत्थान एकादशी का पर्व मनाया जाएगा. आज से सारे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. दरअसल, आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की एकादशी से भगवान विष्णु चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागते हैं. इन चार माह को चतुर्मास कहते हैं और इसमें कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते. भगवान विष्णु के जागने के बाद ही सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू किए जाते हैं. इसी कारण कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है. इस दिन के उपवास का बड़ा महत्व है. देवोत्थान एकादशी को सबसे बड़ी एकादशी भी कहते हैं.
देवोत्थान एकादशी के दिन निर्जला उपवास रखें तो बेहतर होगा. हालांकि रोगी, वृद्ध या बालक एक वेला का उपवास रख सकते हैं. इस दिन चावल और नमक न खाएं तो बेहतर होगा. इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करें और तामसी भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन) ग्रहण न करें. "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें.
देवोत्थान एकादशी पर शंख लाना और इसकी स्थापना करना शुभ माना जाता है. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करना चाहिए. निर्धन को अन्न और वस्त्र का दान करें.
देवोत्थान एकादशी पर पर घी का दीया जलाएं. यह दीया रात भर जलना चाहिए. भोर में भगवान के चरणों की विधिवत पूजा करें और आशीर्वाद लें. फिर चरणों को स्पर्श करके भगवान को जगाएं. व्रत-उपवास की कथा सुनें और फिर सारे मांगलिक कार्य शुरू करें.
Source : News Nation Bureau