Dev Uthani Ekadashi Kab Hai: हिंदू धर्म में चातुर्मास के लगभग 120 दिनों में कोई भी मंगल कार्य नहीं किया जाता. ऐसी मान्यता है कि इस समय जग के पालनहार भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और फिर देवउठनी एकादशी के दिन वो जागते हैं. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी तिथि होती है, जब से सभी तरह से शुभ कार्य पुन: शुरू होंगे. इस साल बेहद शुभ योग देवउत्थान के दिन बन रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि इस साल 11 नवंबर को शाम 6 बजकर 46 मिनट से शुरू हो रही है जो 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट तक रहेगी. ऐसे में इस साल उदयातिथि को देखते हुए 12 नवंबर को ही देवउठनी एकादशी पूजा (Devuthani Ekadashi Kab Hai) होगी. इस साल कुछ शुभ योग के निर्माण के साथ ये दिन आ रहा है.
देवउठनी एकादशी 2024 शुभ योग (Dev Uthani Ekadashi 2024 Auspicious Yoga)
देवउठनी एकादशी पर कई शुभ योग बन रहे हैं. इनमें हर्षण योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग शामिल हैं. इन योगों में की गई पूजा का विशेष महत्व होता है. हर्षण योग में पूजा करने से मन प्रसन्न रहता है और उत्साह बढ़ता है. सर्वार्थ सिद्धि योग में की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. रवि योग सूर्य देव की कृपा पाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और यह एक बहुत ही शुभ संयोग है. इस दिन की गई पूजा का फल बहुत अच्छा मिलता है.
हर्षण योग
- शाम 7:10 बजे तक रहेगा.
- इस योग में पूजा करने से मन में प्रसन्नता और उत्साह बढ़ता है.
सर्वार्थ सिद्धि योग
- सुबह 7:52 बजे से शुरू होगा.
- 13 नवंबर को सुबह 5:40 बजे तक रहेगा.
- इस योग में की गई पूजा सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है.
रवि योग
- देवउठनी एकादशी के पूरे दिन रहेगा.
- सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है.
तो आप अगर किसी शुभ कार्य को करने के बारे में सोच रहे हैं तो देवउठनी एकादशी तिथि तक थोड़ा इंतजार कर सकते हैं. जब कोई शुभ कार्य किसी शुभ तिथि पर किया जाता है तो मान्यता है कि उनका फल भी शुभ मिलता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)