Devki Nandan Thakur: इन दिनों हर किसी की जुबान पर एक ही नाम है - कथावाचक देवकी नंदन महाराज. देश की राजनीति में धर्माचार्यों की भागीदारी की मांग करने वाले और योगी जैसे संतों को संसद की चौखट तक पहुंचाने की बात करने वाले देवकी नंदन महाराज इस बार वक्फ बोर्ड की दादागिरी पर जुबानी प्रहार कर रहे हैं. वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को जेपीसी में भेजे जाने के बाद माना जा रहा था कि यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया है, लेकिन अब देवकी नंदन महाराज ने वक्फ बोर्ड के स्थान पर हिंदू बोर्ड बनाने की मांग कर दी है, जिससे कट्टरपंथी ताकतें भड़क उठी हैं.
वक्फ बोर्ड पर जमीनें हथियाने का आरोप
वक्फ बोर्ड पर लंबे समय से यह आरोप लगते रहे हैं कि वह अल्लाह के नाम पर किसी भी जमीन को अपनी जागीर बताकर कब्जा कर लेता है. भले ही वह जमीन सरकारी हो या फिर किसी हिंदू की. न तो वक्फ बोर्ड के खिलाफ कोई व्यक्ति अदालत जा सकता है और न ही उसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकता है. इसी वजह से वक्फ बोर्ड पर हमेशा यह आरोप लगते रहे हैं कि वह न्यायपालिका से ऊपर होकर काम करता है. यहां तक कि हिंदुओं के तीर्थस्थलों को भी वक्फ बोर्ड ने निशाना बनाया है, जिसका आधार 1954 का वक्फ एक्ट है.
देवकी नंदन महाराज ने की हिंदू बोर्ड स्थापना की मांग
एक ओर मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की बढ़ती ताकत को कम करने और उसकी दादागिरी को समाप्त करने की कोशिश कर रही है तो दूसरी ओर देवकी नंदन महाराज ने वक्फ बोर्ड की जगह हिंदू बोर्ड बनाने की मांग उठाई है. वृंदावन में हुए सनातन हिंदू संस्कृति सम्मेलन में संत महात्माओं और हिंदूवादी संगठनों ने भी इस मांग का समर्थन किया. देवकी नंदन महाराज ने मंच से खुलेआम कहा कि हिंदुस्तान में वक्फ बोर्ड की जगह हिंदू बोर्ड बनना चाहिए और हमें सबसे पहले सनातनी हिंदू बनना चाहिए.
कट्टरपंथी ताकतों के विरोध और धमकियां
देवकी नंदन ठाकुर की इस मांग से कट्टरपंथी ताकतें बुरी तरह से बौखला उठी हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन की धमकी दी है और सांसदों पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है कि वक्फ बोर्ड के खिलाफ कोई कानून संसद से पारित न हो. हालांकि, देवकी नंदन महाराज का यह बयान कट्टरपंथियों के कानों में गूंज रहा है और संत समाज उनके समर्थन में खड़ा हो गया है.
उनके समर्थन में आवाहन अखाड़े के महामंडलेश्वर अतुलेश उर्फ आचार्य शेखर महाराज ने कहा है कि देश की सत्ता संतों के हाथों में सुरक्षित है और योगी-मोदी इसका उदाहरण हैं. उनका मानना है कि संसद में धर्माचार्यों की भागीदारी बढ़नी चाहिए और हर विधानसभा से भगवाधारी सदस्यों का होना जरूरी है. हिंदू बहुल भारत में वक्फ बोर्ड के स्थान पर हिंदू बोर्ड की मांग कितनी उचित है, इस पर बहस जारी है. संत समाज का मानना है कि जब-जब राष्ट्र पर कोई संकट आया, साधु-संतों ने ही देश को संभाला है. अब देखना होगा कि देवकी नंदन ठाकुर की इस मांग पर आगे क्या घटनाक्रम सामने आते हैं और क्या सच में हिंदू बोर्ड की स्थापना हो पाएगी.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)