दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस मनाने की परंपरा है. यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है. इस दिन देवी महालक्ष्मी और कुबेर का पूजन होता है. वहीं धनतेरस की शाम परिवार की सुख समृद्धि के लिए यम नाम का दीपक भी जलया जाता है. इस साल धनतेरस 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
धनतेरस के प्रचलन का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है. धनतेरस के संबंध में प्रचलित कथा के अनुसार, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन देवताओं और असुरों द्वारा मिलकर किए जा रहे समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से निकले नवरत्नों में से एक धन्वंतरि ऋषि भी थे, जो जनकल्याण की भावना से अमृत कलश सहित अवतरित हुए थे. धन्वंतरि ऋषि ने समुद्र से निकलकर देवताओं को अमृतपान कराया और उन्हें अमर कर दिया. यही वजह है कि धन्वंतरि को 'आरोग्य का देवता' माना जाता है और आरोग्य तथा दीघार्यु प्राप्त करने के लिए ही लोग इस दिन उनकी पूजा भी करते हैं.
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धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन कोई भी समान लेना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन गणेश-लक्ष्मी को घर लाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन कोई किसी को उधार नहीं देता. है. इसलिए सभी वस्तुएं नगद में खरीदकर लाई जाती हैं. इस दिन लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के साथ-साथ यमराज की भी पूजा की जाती है. पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है. यह पूजा दिन में नहीं की जाती, अपितु रात होते समय यमराज के निमित्त एक दीपक जलाया जाता है.
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क्या है मुहूर्त?
धनतेरस पूजा मुहूर्त- शाम 07.08 बजे से रात 8.14 बजे तक
अवधि- 1 घंटा 06 मिनट
धनतेरस के दिन इन चीजों को खरीदना होता है जरूरी
धरतेरस के दिन तांबे, पीतल, चांदी के नए बर्तन खरीदना काफी जरूरी और शुभ माना जाता है. इसके अलावा इस दिन खील बताशे और मिट्टी के दीपक, एक बड़ा दीपक भी जरूर खरीदें. इन सब के अलावा इस दिन जेवर खरीदना भी बेहद शुभ माना जाता है.