इस साल 13 नवंबर यानि कि शुक्रवार को धनतेरस का त्योहार है. हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि के साथ कुबरे और मां लक्ष्मी की विधिवत् पूजा की जाती है.
धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन कोई भी समान लेना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन गणेश-लक्ष्मी को घर लाया जाता है. धनतेरस के पावन मौके पर सोना-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदने का नियम है, ये काफी शुभकारी माना जाता है. बहुत से लोग इस दिन नई गाड़ी और अन्य चीजें भी खरीदते हैं. अगर कोई बड़ी चीज नहीं खरीद सकता तो वो एक चम्मच भी खरीद सकता है.
और पढ़ें: Dhanteras 2020: धनतेरस पर इन चीजों का करें दान, आर्थिक तंगी होगी दूर, मिलेगा खास लाभ
सोना, चांदी और अन्य सामानों के अलावा धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना भी काफी लाभकारी माना जाता है. बहुत से लोग धनतेरस पर झाड़ू की खरीददारी करना कभी नहीं भूलते हैं. इसके अलावा मंदिर में झाड़ू का दान करना भी काफी महत्व है.
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, झाड़ू में मां लक्ष्मी का वास होता है इसलिए झाड़ू खरीदने से घर में सुख-समृद्धि आती है और बुरी शक्तियों का नाश होता है. इसके अलावा झाड़ू से घर की दरिद्रता मिटती है. विशेष रूप से धनतेरस को घर में नई झाड़ू लगाने से किसी भी तरह के कर्ज से छुटकारा मिलता है.
झाड़ू से जुड़े इन नियमों का रखें खास ख्याल-
1. घर में झाड़ू को कभी गेट के सामने या खड़ा कर के न रखें.
2. झाड़ू को हमेशा छुपाकर या लिटा कर रखें.
3. किसी भी सदस्य का पैर झाड़ू में नहीं लगना चाहिए क्योंकि इसमें मां लक्ष्मी का वास होता है.
4. शाम के समय या सूर्यास्त के बाद झाड़ू नहीं लगाना चाहिए.
ये भी पढ़ें: Diwali 2020 : छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है? पढ़ें इसके पीछे की कहानी
धनतेरस पूजा मुहूर्त-
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ इस साल 12 नवंबर (गुरुवार) को रात 09 बजकर 30 मिनट से होगा, जो कि 13 नवंबर (शुक्रवार) को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक है.
पूजा विधि-
धनतेरस के दिन मिट्टी का हाथी और धन्वंतरि जी की प्रतिमा या फोटो को स्थापित करें. जल का आचमन करें और फिर गणेश भगवान का ध्यान और पूजन करें. फिर हाथ में अक्षत लेकर भगवान धन्वंतरि का ध्यान करें.
पूजा के समय इस मंत्र का करें जाप-
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि...
Source : News Nation Bureau