दीपावली और धनतेरस को माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का महापर्व माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है ताकि घर में सुख,समृद्धि और शांति का वास हो. इसके साथ ही घर सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाए. त्योहार के इस मौके पर कहीं कोई अपशकुन ना हो जाए, इसका ध्यान रखना बहुत जरूरी है. ऐसे में अपशुकन से बचने के लिए स्वास्तिक आपकी रक्षा करेगा.
क्यों जरूरी है स्वास्तिक?
गणेश और लक्ष्मी पूजन में विशेष रूप से स्वास्तिक बनाना बेहद शुभ माना जाता है, हिंदू धर्म में स्वास्तिक बनाना मांगलिक कार्यों को दर्शाता है, स्वास्तिक चिह्न का होना इस बात की मान्यता है कि घर के सभी कार्य शुभ और मंगल हों, घर में किसी भी तरह की कोई बाधा ना आए. स्वास्तिक में सकारात्मक ऊर्जा ज्यादा होने से वास्तुदोष समाप्त होते हैं.
किसी भी धार्मिक काम में या किसी भी पूजा में घर के मुख्यद्वार पर या बाहर की दीवार पर स्वास्तिक का निशान बनाकर पूजा करें,
ये है स्वास्तिक बनाने की सही विधि-
त्योहार के मौके पर आपके साथ कुछ अपशकुन ना हो, ऐसे में इससे बचने के लिए स्वास्तिक का सही तरीके या विधि से बनाया जाना भी बहुत जरूरी है.
अगर आपके घर में पैसों की तंगी है. तो आप घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर से स्वास्तिक चिह्म बनाएं, इससे लक्ष्मी जी आपके घर खीचें चली आएंगी, आप अपनी कोई मनोकामना पूरी करना चाहते हैं तो मंदिर में स्वास्तिक बनाएं और अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों चौखट पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं, इससे आपकी मनोकामना पूरी होगी. अगर आप घर में सुख,शांति और समृद्धि लाना चाहते हैं,तो हल्दी से उत्तर दिशा की दीवार पर स्वास्तिक बनाएं, इससे घर में सुख- समृद्धि का वास होगा. यदि आप चाहते हैं कि आपके घर से रोग, कष्ट दूर हों तो गाय के गोबर से स्वास्तिक बनाएं. गोबर का स्वास्तिक बनाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि स्वास्तिक अनामिका उंगली से ही बनाएं.
ये भी पढ़ें-Dhanteras 2022: धनतेरस के दिन करें इन चीजों की खरीदारी, हो जाएंगे मालामाल
स्वास्तिक क्या दर्शाता है-
स्वास्तिक की रेखाएं चार दिशाओं को दर्शाती हैं, जैसे कि उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम. लेकिन इन सबके बीच क्या आप जानते हैं ये चार रेखाएं चार वेदों को भी दर्शाती हैं, हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह रेखा चार वेद यानी की ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद को दर्शाती हैं. ऋग्वेद में स्वास्तिक को सूर्य का प्रतीक माना गया है और उसकी चार भुजाओं को चार दिशाओं की मान्यता दी गई है. चार रेखाएं एक घड़ी की दिशा में चलती हैं, जो संसार के सही दिशा में चलने का प्रतीक है. स्वास्तिक के आसपास एक गोलाकार रेखा खींच दी जाए तो यह सूर्य भगवान का चिन्ह माना जाता है. वह सूर्य देव जो सारे संसार को अपनी ऊर्जा से रोशनी प्रदान करते हैं. कुछ यह भी मानते हैं कि यह चार रेखाएं सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा के चार सिरों को भी दर्शाती हैं.
Source : News Nation Bureau