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Jagannath Ratna Bhandar: जगन्नाथ मंदिर के खजाने की होगी डिजिटल लिस्टिंग, क्या कहता है श्री जगन्नाथ टेम्पल एक्ट 1954

Shri Jagannath Temple Act 1954: पूरी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार से निकाले गए खजाने के बारे में सब जानना चाहते हैं. मोदी सरकार इस खजाने की डिजिटल लिस्टिंग करवा रही है.

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Inna Khosla
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digital listing of treasures of jagannath

Shri Jagannath Temple Act 1954( Photo Credit : News Nation)

Jagannath Ratna Bhandar: श्री जगन्नाथ मंदिर पूरी, ओडिशा में स्थित भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को समर्पित एक हिंदू मंदिर है. ये मंदिर 12वीं शताब्दी का है और इसे भारत के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है. मंदिर का निर्माण 1135 ईस्वी में राजा अनंत वर्मा चोड़गंगदेव ने करवाया था. मंदिर का शिखर 214 फीट ऊंचा है और यह ओडिशा की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है. पूरी के जगन्नाथ मंदिर के चारों ओर एक विशाल परिसर है जिसमें कई मंदिर, मंडप और तीर्थ हैं. अक्टूबर 1954 में मंदिर में एक बड़ी आग लगी थी. आग से मंदिर का काफी नुकसान हुआ था, लेकिन मुख्य मंदिर बचा रहा. आग के बाद मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था. इस बार निर्माण लकड़ी के बजाय पत्थर से किया गया है और यहां चारों ओर एक विशाल परकोटा भी है. हर साल रथ यात्रा का आयोजन होता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सवों में से एक है. लेकिन, ये मंदिर गैर-हिंदूओं के लिए बंद है. 46 साल बाद खजाने की गिनती की डिजिटल लिस्टिंग की जाएगी. 

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खजाने की होगी डिजिटल लिस्टिंग 

आने वाले दिनों में खजाने में मिले कीमती सामानों की एक्सपर्ट्स की मदद से डिजिटल लिस्टिंग की जाएगी, जिसमे उसका वजन, कीमत के अलावा निर्माण से जुड़ी जानकारी की पूरी लिस्ट बनाई जाएगी. इस रत्न भंडार को आखिरी बार 46 साल पहले 1978 में खोला गया था, लेकिन तब खजाने की पूरी लिस्ट तैयार नहीं हुई. ऐसा क्यों किया गया? ये राज़ पिछले 46 साल से दबा हुआ है. इसलिए पी एम मोदी ने वादा किया था कि उड़ीसा में बी जे पी की सरकार बनते ही खजाने की डीटेल्स सामने लाई जाएगी. 46 साल पहले जब इस खजाने को आखिरी बार खोला गया तब इस खजाने में क्या क्या मिला था, वो भी याद करा था. 1978 में तैयार की गई एक लिस्ट के तहत जगन्नाथ मंदिर के खजाने में करीब 1,49,000 610 ग्राम, 100 किलोग्राम से ज्यादा के सोने के गहने मौजूद थे. आज 10 ग्राम सोने की कीमत ₹75,000 के आसपास है. इस हिसाब से जगन्नाथ मंदिर के खजाने की कीमत ₹112,00,00,000 और ₹20,00,000 बैठती है. ये सिर्फ सोने के उन गहनों की कीमत है जिनका वजन हुआ था. 

सोने के गहनों में कीमती रत्न भी जड़े हुए थे. इसकी कीमत के बारे में तो अभी जानकारी ही नहीं आई है. इसके अलावा, मंदिर के खजाने में करीब 2,58,000 ग्राम चांदी के बर्तन भी थे. बहुत से ऐसे गहने मौजूद थे जिनका जिक्र लिस्ट तैयार करते वक्त नहीं किया गया. लेकिन अब मंदिर के खजाने से जुड़ी एक एक सटीक जानकारी सामने आ सकती है क्योंकि पूरा खजाना बाहर आ गया. छह बड़े बड़े बॉक्सेस में भर दिया गया. अब एक-एक की लिस्ट बनेगी. सबका वजन होगा की सोने के जेवर में कौन सा रत्न लगाया गया है. करोड़ों अरबों के खजाने के बारे में देश को पता चल पाएगा. 

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पिछली बार 2018 में कोर्ट के निर्देश पर रत्न भंडार को खोलने की कोशिश हुई थी, लेकिन तब तक असली चाबियां गायब हो चुकी थी. इसलिए जब ये टीम मंदिर के खजाने को खोलने पहुंची तो पूरी जिला कलेक्टर के पास सिर्फ खजाने के बाहरी कमरे की ही चाबियां थी. उन चाबियों से अंदर के कमरे का एक भी ताला नहीं खुला. इसके बाद कटर मशीन और दूसरे औजारों के जरिए अंदर के ताले तोड़े गए. इसलिए इस पूरी प्रोसेसर में 5 घंटे का समय लग गया. 

क्या कहता है श्री जगन्नाथ टेम्पल एक्ट 1954 ? 

दरअसल, श्री जगन्नाथ टेम्पल एक्ट 1954 के मुताबिक हर 3 साल में मंदिर के रत्न भंडार को जांच के लिए खोलना जरूरी है. हर 3 साल में इस रत्न भंडार को पहली बार 1926 और दूसरी बार 1978 में खोला गया, लेकिन इसमें रखी संपत्ति का पूरी तरह से मूल्यांकन नहीं किया गया. 1985 में भगवान बलभद्र के आभूषणों के मरम्मत के लिए रत्न भंडार को खोला गया, लेकिन खजाने में मौजूद गहनों की कोई जानकारी आधिकारिक तौर पर अपडेट ही नहीं की गई. इसके बाद से भगवान जगन्नाथ का ये खजाना बंद ही रहा. 

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श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम 1954 (Shri Jagannath Temple Act 1954) ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के प्रबंधन और प्रशासन के लिए भारतीय सरकार द्वारा लागू किया गया एक विधायी अधिनियम है. इस अधिनियम का उद्देश्य मंदिर के मामलों, संपत्तियों और उसकी पवित्रता की रक्षा करना है. ये समिति मंदिर और उसकी संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होती है. इस समिति को मंदिर के मामलों, वित्तीय प्रबंधन, संपत्तियों और अनुष्ठानों के प्रबंधन का अधिकार है और ये यह सुनिश्चित करती है कि मंदिर की परंपराओं और प्रथाओं को बनाए रखा जाए. अधिनियम विभिन्न अधिकारियों की नियुक्ति का प्रावधान करता है, जिसमें मुख्य प्रशासक भी शामिल हैं, जो मंदिर के दैनिक प्रशासन के लिए जिम्मेदार होते हैं. अधिकारी मंदिर प्रबंधन समिति के पर्यवेक्षण में काम करते हैं. 

अधिनियम मंदिर के फंड और संपत्तियों के प्रबंधन का प्रावधान करता है. जो यह सुनिश्चित करता है कि मंदिर की आय का उपयोग उसके रखरखाव, अनुष्ठानों के प्रदर्शन और उसके कर्मचारियों और भक्तों के कल्याण के लिए किया जाए. मंदिर की संपत्तियों की अनुचित उपयोग या दुरुपयोग से सुरक्षा के बारे में भी नियम हैं. इस अधिनियम के अनुसार, मंदिर की संपत्तियों, वित्तीय स्थिति और प्रशासन से संबंधित सही रिकॉर्ड रखना भी बड़ा नियम है. इससे मंदिर के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है. श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम 1954, जगन्नाथ मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसके सुचारू संचालन को सुनिश्चित करता है और इसके भक्तों के हितों की रक्षा करता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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