इस दिवाली पर पूजा के विशेष संयोग बन रहे हैं. लेकिन इस पूजा कर पूजा लाभ तभी मिलेगा जब दीपावली की पूजा पूरे विधि विधान और पूरी पूजा सामग्री के साथ की जाए. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि पूजा में क्या क्या सामान की जरूरत होगी, जिससे पूजा अच्छी तरह संपन्न हो सके.
ये बन रहा है संयोग
59 साल बाद दिवाली पर कई लाभकारी संयोग बन रहे हैं. गुरु और शनि का दुर्लभ योग बन रहा है. दिवाली पर देव गुरु बृहस्पति, मंगल के स्वामित्व वाली वृश्चिक राशि में रहेंगे. वहीं, त्रिग्रही और आयुष्मान, सौभाग्य योग के कारण दीपावली व्यापार, राजनीति और नौकरी करने वालों के लिए अधिक मंगलकारी होगी. उद्योग जगत को दिवाली पर ग्रहों का गिफ्ट मिलेगा. व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर दिवाली पूजन के कई मुहूर्त हैं.
पूजा का समय
घरों पर दिवाली के पूजन का मुहूर्त
बुधवार को सायं 5.27 बजे से 8.06 बजे है.
यह अवधि 1 घंटा 59 मिनट यानी लगभग दो घंटे रहेगी.
व्यावसायिक स्थलों पर पूजन मूहूर्त
प्रदोषकाल: शाम 5.30 से रात 8.16 बजे तक.
शुभ की चौघड़िया: शाम 7.08 से रात 8.46 बजे तक.
अमृत की चौघड़िया: रात्रि 8.46 से 10.23 बजे तक.
लग्न के अनुसार पूजन
धनु लग्न : उद्योग, प्रतिष्ठान में लक्ष्मी पूजन धनु लग्न में श्रेष्ठ रहेगा. दीपावली पर धनु लग्न सुबह 9.24 से 9.39 बजे तक रहेगी.
कुंभ लग्न : कुंभ लग्न दोपहर 1.35 बजे से 2.53 तक रहेगी. इस समय माता लक्ष्मी-गणेश, त्रिदेव, नवग्रह, कुबेर, रिद्धि-सिद्धि, बही खाता, कलम दवात का पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा.
मेष लग्न : शाम 4.19 बजे से शाम 5.54 बजे तक मेष लग्न रहेगी. यह लग्न सूर्य, चंद्र और शुक्र से प्रभावित होकर अत्यंत सुखद रहेगी. इस लग्न में गोधूलि बेला और प्रदोष बेला का समागम जातकों को सफलता दिलाएगा.
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ऐसे करें पूजा की तैयारी
सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे. लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें. पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें. नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें. यह कलश वरुण का प्रतीक है.
-इसके बाद दो बड़े दीपक रखें. एक में घी भरें व दूसरे में तेल. एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में. इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें.
साथ ही मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं. कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं. गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं. ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं. नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं.
-इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी. सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें. छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें.
थालियों की जानकारी
1. ग्यारह दीपक,
2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान,
3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक.
इन थालियों के सामने यजमान बैठे. आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें. कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे.
पूजन सामग्री की लिस्ट
-धूप बत्ती (अगरबत्ती)
-चंदन
-कपूर
-केसर
-यज्ञोपवीत 5 * कुंकु
-चावल
-अबीर
-गुलाल, अभ्रक
-हल्दी
-सौभाग्य द्रव्य- मेहँदी, चूड़ी, काजल, पायजेब, बिछुड़ी आदि आभूषण.
-नाड़ा
-रुई
-रोली, सिंदूर
-सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे
-धनिया खड़ा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुशा व दूर्वा
-पंच मेवा
-गंगाजल
-शहद (मधु) और शकर
-घृत (शुद्ध घी)
-दही
-दूध
-ऋतुफल (गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि)
-नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि)
-इलायची (छोटी) लौंग
-मौली
-इत्र की शीशी
-तुलसी दल
-सिंहासन (चौकी, आसन)
-पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते)
-औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि)
-लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति)
-गणेशजी की मूर्ति
-सरस्वती का चित्र
-चाँदी का सिक्का
-लक्ष्मीजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र
-गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र
-अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र
-जल कलश (ताँबे या मिट्टी का)
-सफेद कपड़ा (आधा मीटर) और लाल कपड़ा (आधा मीटर)
-पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार)
-दीपक
-बड़े दीपक के लिए तेल
-ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा)
-श्रीफल (नारियल) * धान्य (चावल, गेहूँ)
-लेखनी (कलम) और बही-खाता, स्याही की दवात
-तुला (तराजू)
-पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल)
-एक नई थैली में हल्दी की गाँठ
-खड़ा धनिया व दूर्वा आदि
-खील-बताशे
-अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र
Source : News Nation Bureau