27 अक्टूबर को दिवाली (Diwali 2019) है और इस दिन लक्ष्मी, गणेश के साथ ही धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है. भगवान कुबेर वह देवता हैं जिनकी आराधना से भक्तों का घर धन धान्य से भर जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुबेर धन के देवता बनने से पहले एक चोर थे. चोर भी ऐसा वैसा नहीं बल्कि चोरी करते हुए वो अच्छे-बुरे, पाप-पुण्य किसी के बारे में नहीं सोचते थे. वो गरीब से लेकर अमीर के घर, मंदिर हर जगह चोरी किया करते थे.
दरअसल कुबेर लंकापति रावण के सौतेले भाई थे. पुराणों के मुताबिक एक बार कुबेर चोरी करने भगवान शिव के मंदिर पहुंच गए. भगवान शिव के उस प्राचीन मंदिर में बहुमूल्य हीरे-जवाहरात, सोने-चांदी का भंडार था. कुबेर ने जैसे ही हीरे-जवाहरात, सोने-चांदी को समेटना चाहा, मंदिर में जल रहा दीया बुझ गया.
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दीया बुझते ही शिव मंदिर में घना अंधेरा छा गया. कुबेर ने उस बुझे दिए को जलने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे. इसके बाद उन्होंने अपने कपड़े उतार कर उसमें आग लगा दी. इससे मंदिर प्रकाशमय हो गया. कुबेर द्वारा मंदिर में किये गए इस प्रकाश को देख भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए. इसके बाद उन्होंने उन्हें अगले जन्म में धन के देवता कुबेर के रूप में जन्म लेने का वरदान देते हुए उन्हें दर्शन दिया.
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इसके बाद कुबेर ने चोरी छोड़ दी.अगले जन्म में धन के देवता के रूप में कुबेर प्रसिद्ध हुए. आज कुबेर को धन का रखवाला माना जाता है और उनकी इनकी मूर्ति की स्थापना हमेशा मंदिर के अंदर की बजाय मंदिर के बाहर होती है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो