हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पर्व दिवाली इस बार 14 नबंवर 2020 (शनिवार) को मनाया जाएगा. 5 दिवसीय यह पर्व धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है. अंधकार पर प्रकाश की विजय वाले इस पर्व पर मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) और श्रीगणेश (Lord Ganesha) की पूजा करने का विधान है. हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाए जाने वाले इस त्योहार के पीछे मान्यता यह है कि इस दिन ही भगवान श्रीराम रावण को मारकर और अपना वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे और उसी खुशी में पूरी अयोध्या दीपों से जगमग हुई थी. उसके बाद से ही दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हुई थी. दिवाली दीपदान और धनतेरस से शुरू होती है और गोवर्धन पूजा के बाद भैया दूज के दिन खत्म होती है.
दिवाली के दिन घर के मुख्य द्वार पर रंगोली सजाई जाती है और पूरे घर को दीपों से जगमग किया जाता है. यह भी मान्यता है कि दीप जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है. भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा के बाद एक-दूसरे को खील-बतासे का प्रसाद बांटा जाता है और दिवाली की शुभकामनाएं दी जाती हैं.
इस बार दिवाली पर्व 12 नवंबर से शुरू हो रही है. 12 नवंबर (गुरुवार) को गोवत्स द्वादशी पड़ेगा. 13 नवंबर (शुक्रवार) को धनतेरस, धन्वंतरि त्रयोदशी, यम दीपदान, काली चौदस की पूजा होगी. 14 नवंबर (शनिवार) को नरक चतुर्दशी, दिवाली और महालक्ष्मी की पूजा होगी. 15 नवंबर (रविवार) को गोवर्धन पूजा, अन्नकूट मनाया जाएगा तो अगले दिन 16 नवंबर (सोमवार) को प्रतिपदा, यम द्वितीया, भैया दूज मनाया जाएगा.
दिवाली की पूजा और मुहूर्त
14 नबंवर दोपहर 2:17 बजे अमावस्या तिथि प्रारम्भ हो रही है और अगले दिन सुबह 10:36 बजे यह खत्म हो रही है. शाम 5:28 बजे लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शुरू हो रहा है, जो शाम 7:24 बजे खत्म होगा. शाम 5:28 बजे से रात 8:07 बजे तक प्रदोष काल मुहूर्त रहेगा और शाम 5:28 बजे से रात 7:24 बजे तक वृषभ काल मुहूर्त रहेगा.
दिवाली पर इन बातों का रखें ध्यान
लक्ष्मी पूजा में पंचामृत, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, गन्ना, गंगाजल, कमल गट्टा, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का इस्तेमाल करें. मां लक्ष्मी के प्रिय फूल कमल व गुलाब हैं तो इनका इस्तेमाल जरूर करें. फल के रूप में सीताफल, श्रीफल, बेर, अनार व सिंघाड़े का भोग लगाना चाहिए. नैवेद्य में घर में शुद्ध घी से बनी केसर की मिठाई या हलवा जरूर रखें. व्यावसायिक प्रतिष्ठान की भी पूजा जरूर करें.
रात के 12 बजे लक्ष्मी पूजन करने का खास महत्व होता है. मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल के तेल का इस्तेमाल करें. पूजा के बाद रात 12 बजे चूने या गेरू में रुई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल तथा छाज (सूप) को तिलक करना चाहिए. जलाए गए दीयों का काजल स्त्री और पुरुष अपनी आंखों में लगाएं. भोर में 4 बजे 'लक्ष्मीजी आओ, दरिद्र जाओ' कहने की मान्यता है.
Source : News Nation Bureau