पंच पर्व यानी की पांच दिनों तक चलने वाला प्रकाश पर्व का त्योहार आज से शुरू हो चुका है, हिंदू पंचांग के मुताबिक इस साल दिवाली का त्योहार दिन सोमवार और तारीख 24 को है, हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाया जाने वाला त्योहार है. यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत का त्योहार भी माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु श्री राम ने लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त की थी और अयोध्या आए थे, जिसकी खुशी में अयोध्या नगरवासियों ने प्रभु श्री राम की खुशी में दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था. ऐसा भी कहा जाता है कि इसी दिन माता लक्ष्मी भी प्रकट हुई थी, इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन का भी विशेष महत्त्व है.
कार्तिक अमावस्या के दिन दीपदान करने का भी विशेष महत्त्व है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का शुभ विवाह हुआ था, इसलिए हर साल दिवाली में लक्ष्मी पूजन का भी विशेष महत्त्व है. दिवाली के दिन भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और माता सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है. लेकिन पूजा को सही समय पर किया जाए तो ये आपको दोगुना लाभ भी दे सकती है... आइए जानते हैं कि, दिवाली का शुभ मुहूर्त क्या है? कब करें माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा.
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कब है दिवाली , क्या है शुभ मुहुर्त?
दिवाली का त्योहार 24 तारीख दिन सोमवार को है. वहीं लक्ष्मी और गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6:54 से 8:16 तक है, वहीं बता दें लक्ष्मी पूजा का विशेष शुभ मुहूर्त 1 घंटा 21 मिनट तक रहेगा और दिवाली का अमृत मुहूर्त शाम 5:29 से 7:18 बजे तक रहेगा.
क्या है दिवाली में लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त का महत्त्व?
धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक, दिवाली में लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करना सबसे उत्तम माना जाता है, प्रदोष काल के समय की बात करें तो ये शाम 5:42 से रात 8:16 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में विधिवत पूजा करने से मां लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. घर में सुख-शांति भी बनी रहती है.
कैसे करें दिवाली में लक्ष्मी पूजा-
सबसे पहले दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानकर पूजा स्थल की सफाई करें. फिर पूरे घर में गंगा जल से छिड़काव करें, ताकि पूरा घर शुद्ध हो जाए और फिर घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं, इससे लक्ष्मी और भगवान गणेश खूब आनंदित होते हैं.
वहीं शाम में पूजा मुहूर्त का ध्यान रखते हुए, पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसपर लाल कपड़ा बिछा दें. इस चौकी पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को स्थापित करें.
भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ-साथ सभी देवी-देवतीओं का स्मरण कर मूर्ति के पर तिलक लगाएं. आरती का थाल तैयार रखें और हल्दी, फल, फूल, अक्षत भगवान को अर्पित करें. मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती गाएं, ध्यान रहे कि घर के सभी सदस्यों को आरती के समय मौजूद रहना बेहद महत्तवपूर्णं है. अंत में घर के सभी कोने सभी हिस्सों में दीपक जलाकर घर को सकारात्मक ऊर्जा से प्रकाशमय कर दें.
मां लक्ष्मी की आरती-
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
Source : News Nation Bureau