Diwali Puja Vidhi: दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है. हर साल इस दिन देवी लक्ष्मी, धन के देवी, और भगवान राम की पूजा की जाती है. दिवाली से पहले लोग घर की सफाई और सजावट करते है. सभी परिवार के सदस्य मिलकर घर की सफाई करते हैं. रंगोली बनाते हैं और घर को दीपों और रंग-बिरंगी लाइट्स से सजाते हैं. पूजा के लिए एक स्थान निर्धारित किया जाता है, जिसे ‘पूजा स्थान’ कहा जाता है. यहां एक साफ चादर बिछाई जाती है और पूजा सामग्री को व्यवस्थित किया जाता है. अब शुभ मुहूर्त में देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
दीवाली 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा शुक्रवार, नवम्बर 1, 2024 को की जाएगी. लक्ष्मी पूजा का सबसे शुब मुहूर्त शाम 05:36 पी एम से 06:16 पी एम का है. यानि ये 41 मिनट देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे शुभ हैं.
चौघड़िया पूजा मुहूर्त
- प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 06:33 ए एम से 10:42 ए एम
- अपराह्न मुहूर्त (चर) - 04:13 पी एम से 05:36 पी एम
- अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - 12:04 पी एम से 01:27 पी एम
दीवाली पूजा विधि
दिवाली पूजा के लिए कुछ खास सामग्री की आवश्यकता होती है. दीपक, घी, चन्दन, फूल, नैवेद्य मिठाइयां जैसे लड्डू, बर्फी, और फल,
पंचामृत दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण. इसके अलावा तिलक के लिए कुमकुम और चावल. ये सारी सामग्री आप दीवाली की पूजा से पहले अपने पूजा स्थान पर लाकर रख दें.
दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. स्नान के बाद, स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए. यह शुद्धता का प्रतीक है. फिर, एक स्थान पर बैठकर मन में देवी लक्ष्मी और भगवान राम का स्मरण करते हुए ध्यान लगाना चाहिए. अब पूजा स्थान को तैयार किया जाता है. पहले, एक चौकी पर एक सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां या चित्र स्थापित करें.
शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं. अब दीपक जलाने का समय है. मिट्टी के दीपक में घी या तेल भरकर उनमें बत्ती लगाई जाती है. दीप जलाते समय एक विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए. दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. अब आप देवी लक्ष्मी और गणेश जी के सामने बैठकर उनके मंत्रों का जाप किया जाता है. आप चाहें तो एक-एक माला इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं.
गणेश मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः
लक्ष्मी मंत्र: ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः
इसके बाद मन में संकल्प लें कि आप इस पूजा से क्या चाहते हैं. यह एक सकारात्मक सोच और इरादे का प्रतीक है. अब पूजा के समय में नैवेद्य अर्पित करें. मिठाइयों, फलों और अन्य खाद्य पदार्थों को देवी लक्ष्मी और गणेश जी के सामने रखकर उन्हें भोग लगाएं.
नैवेद्य अर्पित करने के बाद, आरती का समय आता है. एक थाल में दीपक लेकर उसे देवी लक्ष्मी और गणेश जी के सामने घुमाते हुए आरती गाई जाती है. आरती के बाद सभी भक्त मिलकर जय लक्ष्मी माता और जय गणेश के जयकारे लगाते हैं.
आरती के बाद पूजा का प्रसाद सभी उपस्थित लोगों को बांट दिया जाता है. यह प्रसाद एक तरह से देवी लक्ष्मी और गणेश जी का आशीर्वाद होता है. सभी इसे खुशी-खुशी ग्रहण करते हैं.
दिवाली के दिन रात में भी पूजा का महत्व होता है. सूर्यास्त के बाद, एक बार फिर से दीप जलाए जाते हैं. इस समय, घर के चारों ओर और आंगन में दीप जलाकर रखें. यह अंधकार को दूर करने और घर में सुख-शांति लाने का प्रतीक है. पूजा के बाद, परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर मिठाइयों का आनंद लेते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं. इस दिन, आतिशबाजी का भी आनंद लिया जाता है. बच्चे और बड़े सभी मिलकर पटाखे फोड़ते हैं और इस उत्सव का जश्न मनाते हैं. दिवाली पर, रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच उपहारों का आदान-प्रदान भी होता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)