Ghosts in Sanatan Dharma: सनातन धर्म में भूत-प्रेत और अदृश्य शक्तियों का उल्लेख कई ग्रंथों और पुराणों में किया गया है. भूत-प्रेत को पितरों, यक्षों, राक्षसों और अन्य अदृश्य शक्तियों से संबंधित माना जाता है, जो किसी कारणवश अपनी यात्रा पूरी नहीं कर पाते और पृथ्वी पर भटकते रहते हैं. माना जाता है कि ये आत्माएं या प्रेत शरीर छोड़ने के बाद भी किसी अधूरी इच्छा या कर्म बंधन के कारण शांति नहीं पा सकते हैं. सनातन धर्म में भूत-प्रेत का उल्लेख कर्म सिद्धांत और पुनर्जन्म के संदर्भ में होता है. माना जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा को मोक्ष प्राप्त करने के लिए अपने कर्मों का हिसाब देना होता है. यदि किसी व्यक्ति के जीवन में अधूरे कार्य, असंतोष, या अत्यधिक नकारात्मक कर्म होते हैं, तो वह आत्मा प्रेत योनि में जाती है और भटकती रहती है.
भूत-प्रेत से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
पिंडदान और तर्पण
भूत-प्रेत से मुक्ति दिलाने के लिए श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण जैसे संस्कार किए जाते हैं. इससे मृत आत्माओं को शांति मिलती है और वे आगे की यात्रा पर निकल पाते हैं.
मंत्र और पूजा
भूत-प्रेतों से बचाव के लिए विभिन्न धार्मिक मंत्रों का जाप और विशेष पूजाएं की जाती हैं जिनसे घर और व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता.
नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव
सनातन धर्म में भूत-प्रेतों को नकारात्मक शक्तियों के रूप में देखा जाता है, जो बुरे कर्मों का परिणाम हो सकते हैं. इनसे मुक्ति पाने के लिए साधु-संतों और तांत्रिकों की सहायता ली जाती है.
भूत-प्रेत से बचने के उपाय
घर में नियमित हवन, दीप जलाना, तुलसी के पौधे का महत्व, और भगवान की उपासना करना इन शक्तियों के प्रभाव से बचाने में सहायक माना जाता है.
हालांकि सनातन धर्म में भूत-प्रेतों का अस्तित्व एक वास्तविकता है, परंतु उनका उद्देश्य डराना या नुकसान पहुँचाना नहीं होता, बल्कि उनकी आत्मा को शांति की आवश्यकता होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)