भगवान विष्णु के 24 अवतारों में भगवान के 10 प्रमुख अवतार है मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार. कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार और कल्कि अवतार. इनमें से पांच के बारे में हम आपको बता चुके हैं. भगवान विष्णु का छठा प्रमुख अवतार है परशुराम अवतार.भगवान परशुराम के जन्म को लेकर दो मान्यताएं हैं.उन्हीं में से एक यह है...
प्राचीन समय में महिष्मती नगरी पर शक्तिशाली हैययवंशी क्षत्रिय अर्जुन का शासन था. वह बहुत अभिमानी और अत्याचारी भी. एक बार अग्निदेव ने उससे भोजन कराने का आग्रह किया. तब सहस्त्रबाहु ने घमंड में आकर कहा कि आप जहां से चाहें, भोजन प्राप्त कर सकते हैं, सभी ओर मेरा ही राज है. तब अग्निदेव ने वनों को जलाना शुरु किया. एक वन में ऋषि आपव तपस्या कर रहे थे. अग्नि ने उनके आश्रम को भी जला डाला. इससे क्रोधित होकर ऋषि ने सहस्त्रबाहु को श्राप दिया कि भगवान विष्णु, परशुराम के रूप में जन्म लेंगे और समस्त क्षत्रियों का सर्वनाश करेंगे.
यह भी पढ़ेंः एक Click पर जानें सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु के 5 अवतारों के बारे में
भगवान विष्णु का सातवां प्रमुख अवतार है राम अवतार. इस अवतार में भगवान विष्णु ने समस्त लोकों को मित्रता और मर्यादा में रहने का संदेश दिया.राम अवतार में भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना गया.कथा के अनुसार त्रेतायुग में राक्षसराज रावण के आतंक और अत्याचारों में तीनो लोकों में हाहाकार मची हुई थी.समस्त देवतागण भी रावण के अत्याचारों से तरस्त थे.पृथ्वी लोक और देवलोक को रावण के अत्याचारों से मुक्त करने के लिए भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या की गर्भ से जन्म लिया.इस अवतार में भगवान विष्णु ने अनेक राक्षसों का वध कर मर्यादा का पालन करते हुए अपना जीवन यापन किया.मान्यता है कि समस्त लोकों को मर्यादा का संदेश देने के लिए भगवान राम पिता के कहने पर सब राजपाट छोड़ कर वन को चले गए थे.
वनवास के दौरान राक्षस रावण देवी सीता का हरण कर उन्हें लंका ले गया.जिसके बाद देवी सीता की खोज में भगवान राम लंका पहुंचे. इस दौरान भगवान राम से समस्त लोकों को मित्रता का संदेश देते हुए राजा बली का वध किया और उनके मित्र सुगरीव को राज पाठ दिलाया. लंका पहुंचने पर रावण ने भगवान राम को युद्ध के लिए ललकारा. देवताओं को रावण के अत्याचारों से मुक्त करने के लिए भगवान राम ने रावण का वध कर अयोध्या को प्रस्थान किया.राम अवतार में भगवान राम को पत्नी वियोग भी सहना पड़ा.जिसके पीछे भी एक कथा है.कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु के परम भक्त को अहंकार हो गया था कि कोई भी उनके ब्रह्मचर्य को भंग नहीं कर सकता.
यह भी पढ़ेंः Kumbh mela 2019 : जानें कितने करोड़ का है कुंभ मेला, बजट जानकर हैरान रह जाएंगे आप
तभी नारद जी का अहंकार तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने एक लीला रची जिसके चलते रास्ते में नारद जी को बेहद सुंदर स्त्री के दर्शन हुए..नारद जी की इच्छा उनसे विवाह करने की हुई. विवाह की इच्छा लेकर नारद जी भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हे उनका मोहिनी रूप देने को कहा.भगवान विष्णु ने उन्हें एक वानर का रूप दे दिया.जिसके चलते उस राजकुमारी का विवाह नारद जी से नहीं हो सका.क्रोधित होतर नारद जी ने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि जिस प्रकार वो स्त्रि वियोग झेल रहे है उसी प्रकार त्रेता युग में आपको भी स्त्री वियोग झेलना पड़ेगा. नारद जी के इसी श्राप के कारण भगवान विष्णु को राम अवतार में देवी सीता का वियोग सहना पड़ा.
भगवान विष्णु का आठवां प्रमुख अवतार है कृष्ण अवतार. इस अवतार में भगवान विश्णु ने समस्सत लोकों को कंस के अत्याचारों से मुक्त करवाया था.कृष्ण अवतार को भगवान विष्णु का पूर्ण अवतार भी माना माता है.मान्यता है की श्री कृष्ण का जन्म माता देवकी की कोक से मथुरा की एक कारागार में हुआ था. लेकिन उनका लालन पालन गोकुल में माता यशोदा के घर हुआ.कथा के अनुसार जब कंस देवकी और वसुदेव को विवाह के बाद घर छोड़ने जा रहा तक तक एक आकाशवाणी हुी की कंस की मृत्यु का कारण देवकी की आठवीं संतान होगी.अकाशवाणी से क्रोधित होक कंस ने वासुदेव और देवकी को कारागार में बंध कर दिया. कहा जाता है मृत्यु के भय के कंस ने देवकी की सात संतानों की हत्या कर दी. जिसके बाद भगवान कृष्ण ने देवकी की कोक से जन्म लिया.
कंस ने भगवान कृष्ण को मारने के लिए कई राक्षसों को गोकुल भेजा. जिन सभी का संहार कान्हा ने खेल खेल में ही कर दिया. भगवान कृष्ण ने बाल्य अवस्था में पुतना का वध किया..कालिया नाग के अत्याचारों से गोकुल को मुक्त करवाने के लिए भगवान कृष्ण ने कालिया नाग का मर्दन किया.इतना ही नहीं कान्हां ने समय समय पर गोकुलवासियों को अपनी लीलाओं से हैरान किया है.हार कर अत्याचारी कंस ने कान्हा को मारने के लिए एक और षडयंत्र रचा. किशोर हो चुके कान्हा को कंस ने मथुरा बुलवाया. जहां लीलाधर कृष्ण कंस का वध कर समस्त पृथ्वी को कंस के अत्याचारों से मुक्त करवाया.कृष्ण अवतार में भगवान विष्णु ने सुदामा संग अपनी दोस्ती की एक अद्भुत मिसाल भी पेश की.
भगवान विष्णु का नौवां प्रमुख अवतार है बुद्ध अवतार.धर्म ग्रंथों के अनुसार बौद्धधर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध भी भगवान विष्णु के ही अवतार थे.लेकिन पुराणों में वर्णित भगवान बुद्धदेव का जन्म गया के समीप कीकट में हुआ. पुराणों में बताया या है कि उनके पिता का नाम अजन था.बुद्ध अवतार को लेकर एक पौराणिक कथा भी है.जिसके अनुसार एक समय दैत्यों की शक्ति इतनी बढ़ गई थी कि देवतागण भी उनके भय से भागने लगे.राज्य की कामना से दैत्यों ने देवराज इंद्र से पूछा कि हमारा साम्राज्य कैसे स्थिर रहेगा.
यह भी पढ़ेंः यहां देखें जयपुर का प्रसिद्ध किशोर जंत्री का पंचांग, जानें साल 2019 के सभी 365 दिनों का महत्व
तब इंद्र ने शुद्ध भाव से बताया कि सुस्थिर शासन के लिए यज्ञ और वेदविहित आचरण आवश्यक है. तब दैत्य वैदिक आचरण के साथ महायज्ञ करने लगे.जिससे उनकी शक्ति और बढने लगी..तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए. और इस समस्या का समाधान करने को कहा. सभी के आग्रह पर भगवान विष्णु ने बुद्ध रूप में अवतार लिया.मान्यताओं के अनुसार इसके बाद भगवान विष्णु बुद्ध अवतार में दैत्यों के पास पहुंचे और उन्हें उपदेश दिया कि यज्ञ करना पाप है. यज्ञ करने से जीव हिंसा होती है.यज्ञ की अग्नि से कितने ही प्राणी भस्म हो जाते हैं..भगवान बुद्ध के इसी उपदेश से दैत्य प्रभावित हुए..और उन्होंने यज्ञ करना छोड़ दिया.जिसकी वजह से दैत्यों की शक्ति कम होने लगी.जिसके प्रभाव से देवताओं को अपना राज्य पुन: प्राप्त हो गया.
यह भी पढ़ेंः ‘वंदे मातरम्’ मामले में बैकफुट पर मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार, ये लिया निर्णय
भगवान विष्णु का 10वां प्रमुख अवतार होगा कलिकि अवतार.कालचक्र के चार युगों में से एक कलियुग में मान्यता है कि भगवान विष्णु के कल्किअवतार का अवतरित होना निश्चित है. 64 कलाओं से युक्त भगवान का कल्कि अवतार कलियुग और सतयुग के संधिकाल में होगा..कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे.
सबरीमाला में टूटी परंपरा, 2 महिलाओं ने किए दर्शन
Source : News Nation Bureau