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17 अक्टूबर से हर घर पधार रही हैं दुर्गा माता, पूजा की कर लें सब तैयारी

17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि (Navratri 2020) का त्योहार शुरू हो रहा है, जो कि 24 अक्टूबर तक रहेगा. हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्‍व है. साल में दो बार नवरात्र‍ि पड़ती हैं, जिन्‍हें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है.

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Vineeta Mandal
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navratri 2020

navratri 2020 ( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

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17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि (Navratri 2020) का त्योहार शुरू हो रहा है, जो कि 24 अक्टूबर तक रहेगा. हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्‍व है. साल में दो बार नवरात्र‍ि पड़ती हैं, जिन्‍हें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है. जहां चैत्र नवरात्र से हिंदू वर्ष की शुरुआत होती है, वहीं शारदीय नवरात्रि अधर्म पर धर्म और असत्‍य पर सत्‍य की विजय का प्रतीक है. यह त्‍योहार इस बात का घोतक है कि मां दुर्गा की ममता जहां सृजन करती है. वहीं, मां का विकराल रूप दुष्‍टों का संहार भी कर सकता है.

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मां दुर्गा के नौ रूपों में पहला स्वरूप 'शैलपुत्री' के नाम से विख्यात है. कहा जाता है कि पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा. दूसरे दिन मां के दूसरे स्वरूप 'ब्रह्मचारिणी' की पूजा अर्चना की जाती है. दुर्गा का तीसरा स्वरूप मां 'चंद्रघंटा' का है. तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व माना गया है. पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है.

पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है. स्कंदमाता अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं को पूरा करती हैं. दुर्गा जी के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी और सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि है. मान्यता है कि सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा से ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है. दुर्गा जी की आठवें स्वरूप का नाम महागौरी है. यह मनवांछित फलदायिनी हैं. दुर्गा जी के नौवें स्वरूप का नाम सिद्धिदात्री है. ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं.

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नवरात्रि व्रत करने कि विधि-

  • नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें.
  • पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
  • दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं.
  • शाम के समय मां की आरती उतारें.
  • सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें. फिर भोजन ग्रहण करें. हो सके तो इस दौरान अन्‍न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
  • अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन कराएं. उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें.
  • अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.

पूजा सामाग्री-

- चन्दन, चौकी, लाल वस्त्र, धूप, दीप, फूल, स्वच्छ मिट्टी

- थाली, जल, ताम्र कलश, रूई, नारियल आदि.

- चावल, सुपारी, रोली, जौ, सुगन्धित पुष्प, केसर, आम का पत्ता

- सिन्दूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार सामग्री, दूध

- दही, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, वस्त्र, आभूषण

- यज्ञोपवीत, मिट्टी, तांबा या चांदी  का कलश, मिट्टी का पात्र, दूर्वा, इत्र

कलश स्‍थापना की विधि-

सबसे पहले नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्‍नान कर लें. इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेशजी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्‍योति जलाएं. अब कलश स्‍थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं. फिर एक तांबे के लोटे पर रोली से स्‍वास्तिक बनाएं और लोटे के ऊपरी हिस्‍से में कलावा बांधें. इसके बाद इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूर्वा, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें.

कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं. कलश स्‍थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्‍प लिया जाता है. आप चाहें तो कलश स्‍थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्‍योति भी जला सकते हैं.

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मां दुर्गा के मुख्य 9 शक्तिपीठ

  1. कालीघाट मंदिर कोलकाता- पांव की चार अंगुलियां गिरी
  2. कोलापुर महालक्ष्मी मंदिर- त्रिनेत्र गिरा
  3. अम्बाजी का मंदिर गुजरात- हृदय गिरा
  4.  नैना देवी मंदिर- आंखों का गिरना
  5. कामाख्या देवी मंदिर- योनि गिरा था
  6. हरसिद्धि माता मंदिर उज्जैन बायां हाथ और होंठ यहां पर गिरे थे
  7. ज्वाला देवी मंदिर सती की जीभ गिरी 

Source : News Nation Bureau

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