Durga Puja 2024 Date: षष्ठी तिथि से दुर्गा पूजा की शुरुआत का विशेष महत्व होता है. इसे बोधन के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है देवी दुर्गा की प्रतिमा का आवाहन और प्रतिष्ठापन. इस दिन मां दुर्गा को आमंत्रित किया जाता है ताकि वे अपने भक्तों के बीच उपस्थित हो सकें. यह पूजा विशेष रूप से पूर्वी भारत, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, और असम में अत्यधिक महत्व रखती है. यह पर्व विशेष रूप से षष्ठी तिथि से शुरू होकर अष्टमी और नवमी तक बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. दुर्गा पूजा मुख्य रूप से देवी दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप की पूजा का प्रतीक है जिसमें देवी ने महिषासुर राक्षस का वध कर संसार को उसके अत्याचारों से मुक्त किया था. नवरात्रि के छठे दिन अर्थात षष्ठी तिथि से देवी दुर्गा की पूजा आरंभ होती है, जो भक्तों के जीवन में नई ऊर्जा, शक्ति और समृद्धि का संचार करती है.
दुर्गा पूजा का शुभारंभ: पूजा की विधि
षष्ठी के दिन भक्त मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते हैं और उनकी बोधन पूजा करते हैं. इसके बाद सप्तमी, अष्टमी, और नवमी तिथियों को क्रमशः पूजा, अर्घ्य, और बलिदान किया जाता है. इन दिनों में देवी दुर्गा की महिमा गाने के साथ-साथ कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है. भजन-कीर्तन और मां दुर्गा के स्तुति गायन से वातावरण भक्तिमय हो जाता है. षष्ठी से आरंभ होने वाली दुर्गा पूजा हमें आत्मिक और मानसिक बल भी देती है. इस पूजा के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना से शक्ति, साहस, और आत्मबल प्राप्त होता है. यह पर्व परिवार, समाज, और व्यक्तिगत जीवन में समृद्धि और शांति लाने का प्रतीक भी है.
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
षष्ठी नवरात्रि से शुरू होने वाली दुर्गा पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है. यह हमें यह सिखाती है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होती है और हमें अपने जीवन में सदैव सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए. दुर्गा पूजा सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है. इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में मनाया जाता है. मां दुर्गा के महिषासुर का वध करने की कथा हमारे जीवन में साहस, धैर्य, और शक्ति के महत्व को दर्शाती है.
यह पर्व हमें यह सिखाता है कि कैसे प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन की चुनौतियों का सामना करना चाहिए और बुराई के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए. षष्ठी से लेकर विजयादशमी तक, हर दिन का अपना महत्व होता है. इस दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो भक्तों को उनके जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं और बाधाओं से मुक्ति दिलाते हैं. षष्ठी के दिन विशेष रूप से देवी का आवाहन किया जाता है, जिससे सभी पूजा विधियों की शुरुआत होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)