Dussehra 2022 Shastra Pujan Rahasya: असत्य पर सत्य की जीत और अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा इस बार 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा. दशहरा और विजयादशमी दोनों पर्व एक ही दिन मनाया जाता है लेकिन इन दोनों तोहार को मनाने की वजह अलग अलग है. इस शुभ अवसर पर सालों से शस्त्र पूजा (Shastra Puja Dussehra) करने की परंपरा चली आ रही है, हमारी सेना में भी विजयादशमी के पर्व पर शस्त्र पूजन किया जाता है. इस दिन क्षत्रिय शस्त्र और ब्राह्मण अपने शास्त्रों की पूजा करते हैं. आइए जानते हैं ऐसा क्यों होता है? और इसका महत्व क्या है?
दशहरा 2022 शस्त्र और शस्त्रों की पूजा (Dussehra 2022 Weapon Worship)
सनातन धर्म में यह परंपरा आज से नहीं बल्कि सालों से चली आ रही है, हर वर्ष दशहरे के दिन विधि-विधान से इस परंपरा का पालन किया जाता है. इस दिन शस्त्र-शास्त्रों के पूजन का खास विधान है. ऐसा माना जाता है कि क्षत्रिय इस दिन शस्त्र और ब्राह्मण इस दिन खासतौर से शास्त्रों का पूजा करते हैं.
मान्यता है कि इस दिन जो भी कार्य शुरु किया जाए उसमें निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. प्राचीन काल से ही यह परंपरा चली आ रही है उस समय में भी योद्धा युद्ध पर जाने के लिए दशहरे के दिन का चयन करते थे.
दशहरा 2022 शस्त्र- शस्त्र पूजा विधि (Dussehra 2022 Weapon Worship Vidhi)
विजयादशमी के दिन शस्त्रों की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है. मंगलवार 4 अक्टूबर 2022 को दोपहर 2:00 बजे से दोपहर 2:50 तक शस्त्र पूजन 2022 का विजय मुहूर्त बन रहा है. ऐसे में सबसे पहले सभी शस्त्रों को एक साफ सुथरी जगह पर रखा जाता है:
- सबसे पहले शस्त्रों पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें पवित्र कर लिया जाता है.
- जिसके बाद सभी हथियारों पर हल्दी व कुमकुम लगाया जाता है.
- फिर शस्त्रों पर फूल अर्पित किया जाता है.
- आखिर में शमी के पत्तों को शस्त्रों पर चढ़ाकर पूरे विधि-विधान से इसकी पूजा की जाती है.
नाबालिग बच्चों को रखा जाता है दूर (Children are not allowed at Shastra Astra Pujan)
वैसे लगभग हर पूजा में बच्चों को शामिल किया जाता है, लेकिन शस्त्र पूजा इकलौती ऐसी पूजा है जिसमें बच्चों को दूर ही रखा जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि किसी भी बच्चे को किसी भी तरह की हिंसक प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन ना मिले.
भारतीय सेना भी इस दिन करती है शस्त्र पूजा (Indian Army Worship Weapons on Dussehra 2022)
इस शुभ अवसर पर हमारे देश की सेना भी शस्र पूजा करती है, इससे ही दशहरे के दिन शस्र पूजा के महत्व का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. इस दिन पूजा में मां भगवती की दोनों योगनियां जया और विजया की पूजा करने का विधान है, जिसके बाद शस्त्र पूजन किया जाता है. इस शुभ अवसर पर मां दुर्गा से हर युद्ध में जीत और सीमाओं की सुरक्षा का वचन लिया जाता है.
Source : News Nation Bureau