Ravan Puja In India: दशहरा यानी विजयादशमी पूरे देश में बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग भगवान राम की पूजा करते हैं. इस वर्ष यह 24 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है. दशहरा के दिन जहां देश के अधिकांश हिस्सों में रावण दहन किया जाता है तो वहीं कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां रावण को जलाया नहीं जाता है और रावण की पूजा की जाती है. हालांकि इसके पीछे कई मान्यताएं प्रचलित हैं, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ऐसे कौन से स्थान हैं जहां विजयादशमी के दिन रावण को जलाया नहीं जाता है.
भारत के इन जगहों पर रावण को नहीं जलाया जाता
1. मंदसौर, मध्यप्रदेश (Mandsaur, Madhya Pradesh)
मान्यताओं के अनुसार मध्यप्रदेश के मंदसौर में रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म हुआ था. ऐसे में यहां के लोग रावण को मंदसौर का दामाद मानते हैं. यही वजह है कि यहां के स्थानीय लोग दशहरे के दिन रावण की मृत्यु पर शोक मनाते हैं. इस क्षेत्र में कई रावण मंदिर भी बने हैं जहां रावण की पूजा की जाती है.
2. बिसरख, उत्तर प्रदेश (Bisrakh, Uttar Pradesh)
कई मान्यताओं के अनुसार उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव को रावण का जन्मस्थान माना जाता है. कई लोगों का मानना है कि इस गांव का नाम रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा है. यहां पर रावण को महाब्राह्मण माना जाता है. इसलिए यहां दशहरा के दिन रावण को जलाया नहीं जाता हैं बल्कि यहां के लोग इस दिन रावण की आत्मा की शांति के यज्ञ करते हैं.
3. जोधपुर, राजस्थान (Jodhpur, Rajasthan)
कई मान्यताओं के अनुसार राजस्थान के जोधपुर में रावण का विवाह राजा मंडावर की बेटी मंदोदरी से हुआ था. जोधपुर को रावण और मंदोदरी का विवाह स्थल माना जाता है. यहां पर आज भी रावण की चवरी नामक एक छतरी मौजूद है. इसलिए जोधपुर के कुछ हिस्सों में सिर्फ दशहरे पर ही नहीं बल्कि हर दिन रावण की पूजा की जाती है. यहां दशहरा पर कभी भी पुतला दहन नहीं किया जाता है. इतना ही नहीं यहां के कुछ लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं.
4. कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश (Kangra, Himachal Pradesh)
मान्यताओं के अनुसार कांगड़ा जिले में शिवनगरी के नाम से मशहूर बैजनाथ कस्बा है जहां रावण ने अपनी भक्ति और तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया था जिसके बाद भगवान शिव ने रावण पर असीम कृपा की थी. यहां के लोगों को मानना है कि अगर उन्होंने रावण का दहन किया तो उनकी मौत हो सकती है. यही वजह है कि कांगड़ा के लोग दशहरे पर रावण का पुतला नहीं जलाते हैं.
5. कोलार , कर्नाटक (Kolar, Karnataka)
रावण की भगवान शिव के प्रति भक्ति की वजह से कर्नाटक के कोलार जिले में पूजा की जाती है. यहां पर दशहरा के दिन रावण को नही जलाया जाता है. यहां के स्थानीय लोग भगवान शिव के साथ उनकी दस सिरों वाली और बीस भुजाओं वाली मूर्ति की पूजा करते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
Source : News Nation Bureau